पानी नहीं अब इस ‘‘बेकार चीज’’ से बिजली बनाएगा हिमाचल

punjabkesari.in Thursday, Nov 17, 2016 - 07:51 PM (IST)

शिमला: डेनमार्क की तर्ज पर हिमाचल में भी कूड़े से बिजली बनाई जाएगी। इसकी शुरूआत 16 दिसम्बर को शिमला से हो रही है। शिमला के भरियाल कूड़ा संयंत्र में कूड़े से बिजली बनाई जाएगी। इसके बाद प्रदेश के सभी नगर निकायों में यह योजना शुरू की जाएगी। प्रदेश में प्रतिदिन 300 मीट्रिक टन कूड़े की क्षमता है और ऐसे में यदि यहां इससे बिजली पैदा होती है तो राज्य में बिजली की कमी नहीं होगी। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि प्रदेश के कू ड़े से बिजली बनाने की योजना तैयार की गई है। इससे एक  तो कूड़े का वैज्ञानिक तौर पर निपटान हो सकेगा और दूसरा इससे पर्यावरण भी सुरक्षित होगा।

कुलदीप पठानिया ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए बोर्ड पूरी तरह से प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि ठोस कू ड़े-कचरे के निपटान  को लेकर नियमों में अहम बदलाव किए गए हैं। ठोस कूड़ा प्रबंधन नियम-2016 में नियम और सख्त किए गए हैं। अब गंदगी फैलाने पर नगर निकायों पर भी जुर्माना लगेगा। इसके अलावा अब कू ड़ा पैदा करने वाले लोगों पर भी जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही नगर निकायों की इन नए नियमों के तहत शक्तियां भी बढ़ाई हैं।

शिमला में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट रूल 2016 पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने किया। इस कार्यशाला में देश से आए विशेषज्ञों ने भाग लिया और अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं। बोर्ड के सदस्य सचिव संजय सूद ने कहा कि अब बोर्ड के अधिकारी और शहरी निकायों के अधिकारी तथा आमजन भी जुर्माने की जद में आएंगे। उन्होंने कहा कि यदि हिमाचल को स्वच्छ भारत अभियान में सबसे ऊपर आना है तो ठोस कू ड़े-कचरे का सही निपटान जरूरी है। अब हर घर से कूड़ा उठाया जाना चाहिए।

कूड़ा बेकार नहीं बल्कि संसाधन है : डा. शरद पी. काला
ठोस कूड़ा प्रबंधन के विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक डा. शरद पी. काला ने कहा कि कूड़ा-कचरा (सॉलिड) बेकार (वेस्ट) नहीं बल्कि एक संसाधन (रिसोर्स) है। उन्होंने कहा कि सभी को यह तय करना चाहिए कि वे अपना कूड़ा नगर निकायों को न दें बल्कि यह प्रण लें कि वे घर के कूड़े से बायोडिग्रेडेबल को ठोस कूड़े से अलग करंेगे तथा उसका घर पर ही उपचार करेंगे। इससे देश में कूड़ा-कचरा प्रबंधन की समस्या हल होगी तथा आसपास का पर्यावरण भी साफ होगा।

शिमला में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट रूल 2016 पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट का नाम बदल कर इसे सॉलिड वेस्ट रिसोर्स मैनेजमैंट नाम देने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि गत 6 सालों से बद्दी में वर्धमान में इस तरह का संयंत्र लगाया हुआ है। यहां पर किचन वेस्ट से गैस निकाली जा रही है जिसका प्रयोग रसोईघर में किया जा रहा है। देश में इस तरह के करीब 250 प्लांट लगाए गए हैं।

कुकर की हर सीटी पर पिघलती है 15 ग्राम बर्फ
डा. शरद पी. काला ने कहा कि सैमीनार व वर्कशॉप बहुत हो चुकी हैं, अब धरातल पर काम करने की आवश्यकता है, इसलिए अब सभी तय करें कि नगर निकायों को कूड़ा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों को कल्चर बनाने की विधि नि:शुल्क सिखाने को तैयार हैं। इसके लिए वह किसी भी तरह की रॉयल्टी नहीं लेंगे। यहां तक कि उन्होंने इसके लिए एडवाइजरी बोर्ड में भी नि:शुल्क काम करने का प्रस्ताव प्रदेश को दिया। उन्होंने कहा कि प्रैशर कुकर की सीटी भी ग्लोबल वार्मिंग का कारण है। कुकर की हर सीटी पर 15 ग्राम बर्फ पिघलती है, ऐसे में कुकर में सीटी आने पर गैस की आंच धीमी कर देनी चाहिए ताकि सीटी न बजे तथा इससे ईंधन भी कम खर्च होगा।

40 साल से सैंट्रल टेबल पर रखा है बायोडिग्रेडेबल डस्टबिन
डा. शरद काला ने कहा कि उन्होंने अपने घर में गत 40 सालों से सैंट्रल टेबल पर बायोडिग्रेडेबल डस्टबिन रखा हुआ है। वह घर का पूरा बायोडिग्रेडेबल वेस्ट इसमें काट कर डालते हैं तथा इससे बदबू आने से पहले यह खाद बन जाती है। डा. शरद काला ने कहा कि हर श्वास की कीमत एक रुपया है। उन्होंने कहा कि जिंदगी के लिए हवा जरूरी है। एक व्यक्ति दिन में 21 हजार बार श्वास लेता है। व्यक्ति के फेफड़े का आकार 700 मिलीमीटर है, ऐसे में वह रोज 17 हजार लीटर हवा लेता है, जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा 3500 लीटर है जो 3 किलोग्राम हुई। बाजार में ऑक्सीजन करीब 7 हजार रुपए प्रति किलोग्राम मिलती है, ऐसे में वह 21 हजार रुपए की ऑक्सीजन प्रतिदिन ग्रहण करता है।


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