दिव्यांग गौतम को सलाम, हिम्मत बनकर बुजुर्ग माता-पिता को दे रहा सहारा

punjabkesari.in Sunday, Feb 03, 2019 - 09:46 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर): साहस, हिम्मत ऐसे शब्द हैं जिनको सुनते ही अंदर से एक जोश आने लगता है। जिंदगी में हिम्मत का होना बहुत जरूरी है। अगर आपके अंदर हिम्मत है तो आप किसी भी नामुमकिन चीज को हासिल कर सकते हैं। इस दुनिया में जितने भी बड़े कारनामे व इतिहास लिखे गए हैं वे सब साहस के कारण ही मुमकिन था और जिन्होंने यह साहस दिखाया वे बहादुर व्यक्ति ही थे। ऐसी ही एक मिसाल कायम की है जिला कुल्लू की मोहल पंचायत के जौली गांव के रहने वाले दिव्यांग गौतम ने। गौतम शारीरिक रूप से 80 प्रतिशत दिव्यांग है और उसकी हिम्मत के आगे सब मुश्किलें हार जाती हैं। दिव्यांग गौतम की जिंदगी में ऐसे कई मोड़ आए हैं कि जब उसे लगा कि उसका जीना बेकार है लेकिन अपने सामने बिस्तर पर पड़े मां-बाप को देखा तो उसे उन सब मुश्किलों का सामना करना पड़ा और आज वह खुले आसमान के नीचे छोटी सी खिलौनों की दुकान लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन करने पर मजबूर हो गया है। 
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आई.आर.डी.पी. योजना में शामिल नहीं परिवार

दिव्यांग गौतम बिस्तर पर पड़े अपने पिता और दिव्यांग मां के साथ रह रहा है। दिव्यांग गौतम हालांकि भीख मांग कर भी अपनी गुजारा कर सकता है लेकिन उसने हिम्मत दिखाई और छोटी सी खिलौनों की दुकान चलाकर वह अपने परिवार को पालने की कोशिश कर रहा है। गौतम से बात की तो उसने बताया कि करीब 15 साल पहले उसे पंचायत से घर बनाने के लिए पैसे मिले थे और उसके बाद उसे आई.आर.डी.पी. योजना से बाहर निकाल दिया गया। हालांकि उसे दिव्यांग पैंशन तो मिल रही है लेकिन उससे उसका गुजारा करना नाकाफी है।
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इंजैक्शन लगाते ही लकवाग्रस्त हो गया दिव्यांग गौतम

गौतम ने बताया कि बचपन में जब वह करीब 2 साल का था तो उसे काफी तेज बुखार आया। उसके मां-बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए तो डॉक्टर ने उसे बुखार उतारने के लिए एक इंजैक्शन लगाया, जिसके बाद से ही कमर के नीचे का शरीर लकवाग्रस्त हो गया और वह जमीन से रगड़ कर जिंदगी जीने को मजबूर हो गया।
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2 साल पहले बिस्तर पर पिता, मां भी 60 प्रतिशत दिव्यांग

दिव्यांग गौतम ने बताया कि वह अभी भी हिम्मत करके अपने बुजुर्ग माता-पिता को पाल रहा है। करीब 2 साल पहले उसके पिता को अधरंग का अटैक हुआ और उसके बाद से लेकर अभी तक वह बिस्तर पर पड़े हुए हैं। वहीं उसकी माता भी शारीरिक रूप से 60 प्रतिशत दिव्यांग है, ऐसे में अब उसके ऊपर ही पूरे परिवार को पालने की जिम्मेदारी आ गई है।
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दिव्यांग गौतम को अभी भी है सरकारी नौकरी की उम्मीद

गौतम ने बताया कि वह जमा दो तक शिक्षा ग्रहण कर चुका है और उसे दिव्यांग कोटे के तहत सरकारी नौकरी दी जाए ताकि वह अपने परिवार को पालने में सक्षम हो सके लेकिन प्रदेश सरकार व अफसरों द्वारा अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है। दिव्यांग गौतम का कहना है कि अगर उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है तो नेचर पार्क मोहल में ही उसे एक छोटा सा लकड़ी का शैड बना दिया जाए ताकि वह अपनी छोटी सी खिलौनों की दुकान को बारिश व गर्मी से बचा सके।
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मेहनत से जिंदगी जीना चाहता है दिव्यांग गौतम

दिव्यांग गौतम ने बताया कि अब वह सरकारी दफ्तरों व मंत्रियों के चक्कर काट कर थक चुका है और मेहनत से अपनी जिंदगी जीना चाहता है, ऐसे में बस अब उसे दरकार है कि वह खुले आसमान के नीचे जो अपनी छोटी सी खिलौनों की दुकान को चला रहा है, उसे एक छत मिल सके और वह सम्मान के साथ अपने दिव्यांग बुजुर्ग माता-पिता का भरण-पोषण कर सके। गौतम का कहना है कि हमारे जीवन में कई बार ऐसे मौके आ जाते हैं जहां हमें पूरी हिम्मत के साथ अपनी समस्याओं व कठिन हालातों में साहस दिखाना पड़ता है, इसलिए अगर साहस होगा तो जिंदगी में कभी आप मात नहीं खा सकते।


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Vijay

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