भगवान शिव का शीतकालीन प्रवास स्थल है यह तीर्थ स्थल, दिन में बदलता है सात रंग

punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 02:36 PM (IST)

रिकांगपिओ (रिपन): जिला किन्नौर के पवारी गांव की पहाड़ी पर लगभग 19,850 फुट पर स्थित प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष सावन माह में चलाई जाने वाली किन्नर कैलाश यात्रा इस वर्ष प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 से 26 अगस्त तक चलाई जा रही है। प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के हर वर्ष देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु जिला किन्नौर पहुंचते हैं। किन्नर कैलाश जहां आस्थावान हिंदुओं के लिए हिमालय पर होने वाले अनेक हिन्दू तीर्थों में से एक है, वहीं श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षक एवं चुनौतीपूर्ण ट्रैकिंग भी है। यह यात्रा तांगलिंग गांव से शुरू होती है तथा लगभग 15 किलोमीटर चुनौती पूर्ण खड़ी चढ़ाई वाले रास्ते का सफर तय करके पूरी होती है।

लगभग दो दिन में तय होती है 15 किलोमीटर की यह यात्रा
किन्नर कैलाश की यात्रा को पूरा करने के लिए कम से कम दो दिन का समय लगता है। यात्रा से पहले यात्रियों का पंजीकरण किया जाता है। उसके बाद यात्री गणेश पार्क नामक स्थान पर रुक कर विश्राम करने के बाद पार्वती कुंड पहुंचते हैं तथा पार्वती कुंड में पूजा अर्चना करने के बाद प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कर पूजा अर्चना के साथ अपनी-अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

पांच कैलाशों में से एक है किन्नर कैलाश की यात्रा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शिव के पांच कैलाशों में से एक किन्नर कैलाश किन्नौर जिला में स्थित है तथा किन्नर कैलाश को भगवान शिव का शीतकालीन प्रवास स्थल के रूप में माना जाता है यही नहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव हर वर्ष सर्दियों में किन्नर कैलाश शिखर पर देवी-देवताओं की एक बैठक आयोजित करते हैं। यह यात्रा हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए विशेष धार्मिक महत्त्व रखती है तथा इस पर्वत की विशेषता है कि इसकी एक चोटी पर 45 फुट ऊंचा और 16 फुट चौड़ा प्राकृतिक शिवलिंग अपने आप में अद्भुत है यही नहीं किन्नौर के देवी-देवताओं द्वारा भी सबसे पहले कैलाश की पूजा की जाती है।

दिन में सात बार रंग बदलता है किन्नर कैलाश
किन्नर कैलाश में असीम शक्तियां हैं तथा कहा जाता है कि किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जबकि इसके आस-पास मौजूद पहाड़ियों का रंग एक जैसा ही रहता है। इतना ही नहीं शिवलिंग का रंग भी बार-बार बदलता रहता है, जिसे किन्नौर ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों ने भी अपनी आंखों से देखा है। भगवान शिव के इस कैलाश में अंधेरा होने के बाद कई बार किन्नर कैलाश में मौजूद शिवलिंग के ऊपरी तरफ चमकते सितारों को उतरते हुए भी लोगों ने देखा है।

इस वर्ष दो रास्तों से होगी यात्रा
इससे पूर्व किन्नर कैलाश यात्रा एक मात्र तांगलिंग मार्ग से होती थी, परंतु इस वर्ष से किन्नर कैलाश की यात्रा तांगलिंग मार्ग के अलावा पूर्वनी मार्ग से भी शुरू की जाएगी ताकि शिव भक्तों को कैलाश दर्शन के दौरान आने जाने में सुगमता रहे तथा यह निर्णय हाल ही में कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता मे रिकांगपिओ में आयोजित बैठक में लिया गया तथा बैठक में जिला पर्यटन अधिकारी के अलावा पूर्वनी, तांगलिंग पवारी के पंचायत प्रधानों के सहित स्थानीय कमेटियों के पदाधिकारियों ने भी इस पर सहमति जताई है।

यह रहेगी प्रशासन की व्यवस्था
किन्नर कैलाश यात्रा के दौरान जगह-जगह फॉरैस्ट, पुलिस सहित होमगार्ड के जवानों की तैनाती के अलावा मेडिकल की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसी तरह यात्रा के दौरान खुलने वाले ढाबों में भी खाने आदि के रेट निर्धारित किए जाएंगे ताकि कोई मननाने तरीके के खाद्य वस्तुओं के दाम न वसूल सके। इसी तरह यात्रा वाले दोनों रूटों पर सफाई व्यस्था का कार्य भी बीडीओ कल्पा की देखरेख में चलेगा ताकि सफाई व्यस्था का पूरा ध्यान रखा जा सके।

वर्ष 2023 में 3 हजार 72 श्रद्धालुओं ने की थी किन्नर कैलाश यात्रा
वर्ष 2023 में 3 हजार 72 लोगों ने किन्नर कैलाश की यात्रा की थी जबकि दो विदेशी नागरिकों ने भी कैलाश यात्रा की थी। वहीं इस वर्ष इससे भी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा किन्नर कैलाश यात्रा करने की संभावना है क्योंकि इस वर्ष यात्रा लगभग 26 दिन चेलेगी जबकि गत वर्ष यह यात्रा लगभग 16 दिन चलाई गई थी।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Kuldeep

Related News