ज्वालामुखी अस्पताल में गर्भवती महिला को 7 घंटे रखा, फिर एमरजैंसी केस बताकर टांडा किया रैफर
punjabkesari.in Thursday, May 27, 2021 - 11:22 AM (IST)

ज्वालामुखी (नितेश) : कोरोनाकाल के बीच जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी अस्पताल के मेडिकल स्टाफ का अमानवीय चेहरा सामने आया है, यहां एक गर्भवती महिला को पहले तो उसकी डिलीवरी शाम तक आराम से हो जाएगी यह कहकर 7 घंटे तक अस्पताल में रखा व बाद में एमरजैंसी केस बताकर उन्हें टांडा अस्पताल भेज दिया गया। मामले को लेकर महिला के परिजनों सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला गौसेवा प्रमुख देशराज भारती ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। साथ ही आरोप लगाया है कि उनकी वजह से एक महिला व उसके बच्चे की जान तक खतरे में आ पहुंची थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोनाकाल के बीच ज्वालामुखी अस्पताल ईलाज के नाम पर सिर्फ लोगों को दर्द दे रहा है। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में गरीब आदमी कहां जाए।
दरअसल ये मामला 24 मई का है जब बदोली पंचायत के एक गांव की रहने वाली महिला अनिता पत्नी वीरेंद्र को प्रसव पीड़ा के चलते ज्वालाजी अस्पताल लाया गया। परिजनों का कहना है कि इस बीच अस्पताल में मौजूद वरिष्ठ चिकित्सक ने उन्हें कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और महिला की शाम तक डिलीवरी हो जाएगी। परिजनों का आरोप है कि इस दौरान अस्पताल प्रबंधन द्वारा अनीता को यहां दाखिल करवा लिया गया, लेकिन 7 घंटे बीत जाने के बाद यहां पहले मौजूद डाॅक्टर की ड्यूटी खत्म होने के चलते दूसरी शिफ्ट में अस्पताल पहुंचे अन्य डॉक्टर ने एमरजैंसी केस बताकर उन्हें टांडा अस्पताल जाने की सलाह दी।
जिस गाड़ी में ले जा रहे थे उसी में हुआ प्रसव
परिजनों का कहना है कि बिना देरी किए उन्होंने प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम किया और उसे लेकर टांडा अस्पताल की ओर चल पड़े। अनिता के पति वीरेंद्र बताते हैं कि इस दौरान ज्वालामुखी से लगभग 20 किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद बाथू पुल के समीप उनकी पत्नी की हालत एकाएक खराब हो गई व उसने अपनी आंखें तक बंद कर दीं। अनिता के पति वीरेंद्र के अनुसार जैसे तैसे उनकी सास ने हिम्मत कर महिला का प्रसव उसी समय करवाया व उसने एक बच्ची को जन्म दिया। परिजनों के अनुसार ज्वालामुखी में ही यदि अनिता का समय रहते प्रसव करवा दिया जाता तो उन्हें इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़ता। उनके अनुसार उस दिन सुबह साढ़े 11 बजे से वह अस्पताल में पहुंचे थे व 7 बजे उन्हें टांडा भेज दिया गया, जबकि उसके पौने घंटे के बाद ही महिला का गाड़ी में ही प्रसव हो गया।
निजी अस्पताल ने मांगी कोविड रिपोर्ट, न दिखाने पर नहीं देखा बच्चा व मां
अनिता के पति वीरेंद्र का कहना है कि गाड़ी में उनकी पत्नी का प्रसव होने के बाद वह वापिस ज्वालामुखी की तरफ आ गए व बच्चा कमजोर होने के चलते उसे दिखाने के लिए एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। उनके अनुसार यहां निजी अस्पताल ने सबसे पहले उनकी पत्नी की कोविड रिपोर्ट मांगी व रिपोर्ट न होने के चलते उन्होंने बच्ची व पत्नी दोनों को देखने से इंकार कर दिया, जिसके चलते वह सीधे घर की तरफ ही वापिस आ गए। अनिता के पति का कहना है कि कोविड में जब डॉक्टर ही मरीजों के साथ इस तरह का व्यवहार करेंगे तो आम आदमी किसके पास जाकर अपना दुखड़ा रोए। ज्वालामुखी के खंड चिकित्सा अधिकारी प्रवीण कुमार ने कहा कि ये मामला ध्यान में नहीं है। यदि अस्पताल में ये घटना पेश आई है तो इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। जो भी इसमें दोषी होगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।