पीएम केयर्स के वेंटिलेटर कहीं खराब तो कहीं धूल खा रहे, खामियाजा भुगत रहे रोगी: राजेंद्र राणा

punjabkesari.in Thursday, May 13, 2021 - 05:42 PM (IST)

हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा कहां है कि कोविड महामारी की  इस लहर में जब देश में स्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का जनाजा उठ गया है, ऐसे में पीएम केयर्स के वेंटिलेटर कहीं खराब पड़े हैं तो कहीं धूल खा रहे हैं, जिसका खामियाजा गंभीर रोगियों को अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ रहा है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि 27 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री राहत कोष पहले से मौजूद होने के बावजूद कोविड-19 को देखते हुए पीएम केयर्स फंड का ऐलान करते हुए देशवासियों से इसमें बढ़-चढ़कर सहयोग देने की अपील की थी।

प्रधानमंत्री की इस अपील पर देश हित को सामने रखते हुए देश की कई जानी-मानी हस्तियों और औद्योगिक घरानों के अलावा देश की जनता ने भी पीएम केयर फंड में खुलकर रकम दान की थी। सरकारी विभागों और सार्वजनिक निगमों में लोगों की सैलरी का कुछ हिस्सा काटकर पीएम केयर्स में डोनेट किया गया था। राणा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इस फंड से जो हजारों वेंटिलेटर खरीदे गए थे, उनमें से अधिकांश या तो धूल फांक रहे हैं या फिर खराब पड़े होने के कारण उनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा देश के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की भारी कमी के चलते हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

राजेंद्र राणा ने कहा कि आज देश भर में हालत यह हो गई है कि कई जगहों से इन वेंटिलेटरों के ठीक से काम न करने की शिकायतें  मिल रही हैं तो कहीं प्रशिक्षित स्टाफ़ की कमी के कारण वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। कहीं वायरिंग ख़राब है तो कहीं एडॉप्टर नहीं हैं। उन्होंने  कहा कि आज महामारी के इस दौर में देश के अस्पतालों में जो मंजर है, उसके लिए ’भयावह’ शब्द भी छोटा है। एक-एक साँस के लिए तड़पकर दम तोड़ने वालों की खबरें हर दिन मीडिया में प्रकाशित होने से जनता का मनोबल भी टूट रहा है और देशवासी खुद को ईश्वर भरोसे महसूस कर रहे हैं । 

राणा ने कहा कि अब तक पीएम केयर्स फंड में कितने पैसे जुटे और उन पैसों का क्या हुआ, इसकी जानकारी भी देश की जनता को नहीं मिल पा रही क्योंकि सरकार ने इस फंड को आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर रखा है। राणा ने कहा कि 18 मई 2020 को प्रधानमंत्री के सलाहकार भास्कर कुल्बे ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखकर पीएम केयर्स फ़ंड से दो हजार करोड़ की रकम से 50 हज़ार ’मेड इन इंडिया’वेंटिलेटर्स का ऑर्डर दिए जाने की जानकारी दी थी जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मार्च 2020 के अंत में ही वेंटिलेटर खरीदने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी थी। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ आनन-फानन में हुआ और वेंटीलेटरों की गुणवत्ता का भी कोई पैमाना तय नहीं किया।

राणा ने कहा कि इससे यह आशंका पनपती है कि वेंटिलेटर खरीद की आड में कहीं ना कहीं गोलमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे वेंटिलेटर लगातार खराब निकलने और बेकार पड़े होने की खबरें लगातार मीडिया में आ रही हैं, जिससे सरकार की नीति व नीयत पर भी सवाल उठ रहे हैं। राणा ने कहा कि कोरोना महामारी के इस भयावय दौर में भी देश की जनता की जान की रक्षा करने की वजह मोदी सरकार को अपनी इमेज संवारने की पड़ी है। उन्होंने कहा पूरी दुनिया देख रही है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश में स्वास्थ्य सुविधाएं पाताल में चली गई हैं।
 


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Content Writer

prashant sharma

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