Himachal: मोबाइल ने नई पीढ़ी को नया अहंकार दे दिया : शांता
punjabkesari.in Wednesday, Jun 18, 2025 - 06:06 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि कुछ समाचार पढ़कर सिर चकराने लगता है। पति-पत्नी का झगड़ा हो रहा था, पति के पिता समझाने के लिए गए, बेटे ने जोर से प्रहार किया, पिता की मौत हो गई। एक नशेड़ी बेटे ने पिता से पैसे मांगे, पिता ने इंकार किया, बेटे ने पिता की हत्या कर दी। 13 वर्ष की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी से मां ने मोबाइल ले लिया और कहा कि पहले पढ़ाई करो, बेटी दूसरे कमरे में गई और आत्महत्या कर ली। विवाह के बाद पति-पत्नी हनीमून के लिए कहीं गए, पत्नी ने अपने प्रेमी से मिलकर पति की हत्या करवा दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के समाचार पढ़ कर पूरा समाज विचलित हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नई तकनीक आने के बाद युवा पीढ़ी पूरी तरह से संस्कार विहीन हो गई।
बच्चों को सबसे पहला संस्कार परिवार में माता-पिता और दादा-दादी से मिलता था। मोबाइल हाथ में आने के बाद कोई बच्चा माता-पिता या दादा-दादी के पास बैठने को ही तैयार नहीं, बात सुनना तो दूर रहा। मोबाइल ने नई पीढ़ी को एक नया अहंकार दे दिया। मोबाइल में इंटरनैट व गूगल है और हर बच्चा यह समझता है कि मुझे सब पता है। जिनको सब पता है वे किसी बड़े से कभी कुछ सीखने को तैयार नहीं होंगे। शांता कुमार ने कहा कि परिवार से संस्कार मिलता नहीं, समाज में नशे का प्रकोप है। टिड्डी दल की तरह बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के कारण निराशा और हताशा है। अपराध और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं।
नैतिक शिक्षा अनिवार्य विषय बनाया जाए
उन्होंने कहा कि देश के इस अति भयंकर संकट का अब एक ही इलाज है कि योग और नैतिक शिक्षा को स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई में अनिवार्य विषय बनाया जाए। संस्कार देने का परिवार का काम अब शिक्षा विभाग को करना होगा। सरकार विद्वानों की एक समिति बनाए, वह स्कूल और कॉलेज के लिए योग तथा नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तय करे। योग और नैतिक शिक्षा सबसे अनिवार्य विषय हों। यदि युवा पीढ़ी को संस्कार देने की ऐसी व्यवस्था नहीं की गई तो भारत का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सरकार और देश के विद्वान इस संकट की ओर अतिशीघ्र ध्यान दें।