Himachal Statehood Day: कठिनाइयों को पछाड़ बना विकास की मिसाल, इन उपलब्धियों पर हिमाचल को नाज
punjabkesari.in Saturday, Jan 25, 2025 - 11:55 AM (IST)
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश, जिसे 25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला, आज देश के सबसे सफल पहाड़ी राज्यों में से एक है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, सीमित संसाधनों और शुरुआती दौर की चुनौतियों के बावजूद, इस छोटे से राज्य ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। 1971 में जब हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था, तब इसकी जनसंख्या 10 लाख के करीब थी, जो अब बढ़कर 82 फीसदी पहुंच गई है। प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2.35 लाख रुपये हो चुकी है, और यह देश के अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल बन गया है।
पूर्ण राज्य का सफर
25 जनवरी 1971 को शिमला के रिज मैदान में बर्फबारी के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की। इस घोषणा के साथ हिमाचल का नया अध्याय शुरू हुआ। देश का 18वां राज्य हिमाचल प्रदेश शनिवार को 55वें साल में प्रवेश करेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में जिला कांगड़ा के बैजनाथ में पूर्ण राज्यत्व दिवस का समारोह मनाया जाएगा।
डॉ. यशवंत सिंह परमार बने थे हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री
मार्च 1952 में डॉ. वाईएस परमार ने हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। जुलाई 1954 में बिलासपुर को हिमाचल में मिलाया गया। साल स्टेट्स रिआर्गेनाइजेशन एक्ट लागू होने के बाद 31 अक्तूबर 1956 को प्रदेश विधानसभा समाप्त करके टेरिटोरियल काउंसिल बना दी गई। पहली नवंबर 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित राज्य बना। 1963 में प्रदेश विधानसभा में परिवर्तित किया गया। 1970 में संसद ने स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट-1970 पास किया। 25 जनवरी 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वयं शिमला आकर हिमाचल को पूर्ण राज्य प्रदान करने की घोषणा की।
54 साल के इस सफर में हिमाचल ने कृषि, बागवानी, पर्यटन, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, और ग्रामीण विकास जैसे कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
शिक्षा और स्वास्थ्य में विकास
हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत सुधार किया है। सरकारी क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों की कुल संख्या 16 हजार से अधिक है। कुल सड़कों की लंबाई 42,561 किलोमीटर पहुंच गई है। प्रदेश में तीन हवाई अड्डे यात्रियों के सफर को सुगम बना रहे हैं। रेलवे नेटवर्क भी प्रदेश में बढ़ रहा है।
हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद, प्रदेश को स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे की कमी और विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपलब्धता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह जरूरी है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाया जाए ताकि न केवल आम नागरिक, बल्कि प्रदेश के वीआईपी भी यहां इलाज के लिए भरोसा कर सकें।
पर्यटन में अपार संभावनाएं
हिमाचल की सुंदरता किसी से छिपी नहीं है। यहां की प्राकृतिक छटा इसे 'भारत का स्विट्जरलैंड' बनाती है। इसके बावजूद, हिमाचल अपने पर्यटन क्षेत्र को उस स्तर तक नहीं पहुंचा पाया, जहां यह होना चाहिए था। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल में पर्यटन और रॉयल्टी आधारित पनबिजली जैसे उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है। रोपवे परियोजनाओं और आधुनिक सुविधाओं का विकास करने से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य की आर्थिकी भी मजबूत होगी।
महिलाओं की भागीदारी और रोजगार
हिमाचल प्रदेश में महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में योगदान दे रही हैं, जो पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक है। बेरोजगारी दर भी हिमाचल में सबसे कम है।
इन उपलब्धियों पर हिमाचल को नाज
2009 में प्लास्टिक और पॉलिथीन कैरी बैग पर बैन लगाने वाला देश का पहला राज्य।
ई-विधानसभा वाला देश का पहला राज्य।
ई-कैबिनेट और ई-बजट पेश करने वाला पहला राज्य।
देश का पहला धुआं मुक्त राज्य, हर घर में गैस चूल्हा उपलब्ध।
आठ साल पहले देश का पहला ओडीएफ स्टेट घोषित।
ग्रीन कवर बढ़ाकर कार्बन क्रेडिट हासिल करने वाला एशिया का पहला राज्य।
शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति में नल से जल पहुंचाया, हर घर को नल से जल देने वाला देश का पहला राज्य।
बर्फानी तेंदुए का अध्ययन करने वाला देश का पहला राज्य।
एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब, सालाना 45 हजार करोड़ रुपए का दवा उत्पादन।
युवा मतदाताओं के पंजीकरण में देश भर में अव्वल।
धर्मांतरण कानून सबसे पहले हिमाचल में लाया गया।
वीरभद्र सिंह ने 2006 में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ देश में पहली बार लाया बिल।
हिमाचल के गठन के समय महज 228 किलोमीटर सड़कें थीं, अब सड़कों की लंबाई 42,561 किलोमीटर हो गई है।
करगिल युद्ध में हिमाचल के दो सपूतों कैप्टन विक्रम बत्रा (सर्वोच्च बलिदान उपरांत) व सिपाही संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) को परमवीर चक्र हासिल हुआ।
चीन के साथ युद्ध में अदम्य साहस के लिए मेजर धनसिंह थापा को परमवीर चक्र मिला।
हिमाचल के डॉक्टर भारत के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों की कमान संभाल चुके हैं, जिनमें डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. जगतराम, डॉ. टीएस महंत, डॉ. राजबहादुर प्रमुख हैं।
युवा डॉक्टर अरुण शर्मा सीवीआर एंड ईआई में सुपर स्पेशलाइजेशन (डीएम) डिग्री पाने वाले भारत के पहले डॉक्टर बने है।
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