Shimla: विधानसभा में विमल नेगी की मौत मामले में विपक्ष का हंगामा, सदन से किया वॉकआऊट
punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 07:58 PM (IST)

शिमला (भूपिन्द्र): विधानसभा में वीरवार को हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (एचपीपीसीएल) के महाप्रबंधक व चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में हंगामा हुआ। विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने घटना की सीबीआई जांच की मांग की। बाद में वह सदन से नारे लगाते हुए बाहर चले गए तथा प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद वह सदन में वापस लौट आए। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी को सस्पैंड किया है तथा अन्यों को लीव पर भेज दिया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया।
विमल नेगी को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता था : जयराम
वीरवार को शोकोद्गार के बाद प्रश्नकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विमल नेगी की मौत का मामला उठाते हुए सीबीआई की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पूरे घटनाक्रम को गंभीर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली पहले दिन से ही विवादों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि मृतक चीफ इंजीनियर को पावर कॉर्पोरेशन में मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता था। उन्होंने यह भी पूछा कि कॉर्पोरेशन में देशराज को 5 लोगों को सुपरसीड कर क्यों निदेशक बनाया गया और सरकार इन पर इतनी मेहरबान क्यों है? उन्होंने कहा कि देशराज को सस्पैंड किया गया, लेकिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। रणधीर शर्मा ने मामला उठाते हुए कहा कि सरकार ने इस मामले में एफआईआर जरूर दर्ज की है, लेकिन इसमें सिर्फ पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक देशराज का ही नाम है, जबकि निदेशक हरिकेश मीणा का इसमें नाम नहीं है। एफआईआर में दूसरे अधिकारी का भी नाम आना चाहिए था। उन्होंने आईएएस हरिकेश मीणा के खिलाफ जांच एक अन्य आईएएस अधिकारी को ही दिए जाने पर भी सवाल उठाए।
भाजपा राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बना रही मुद्दा : सुक्खू
इसके जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इसे मुद्दा बनाने का आरोप लगाया तथा कहा कि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और उचित कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से मृतक विमल नेगी की पत्नी संतुष्ट है और उन्होंने स्वयं व्यक्तिगत तौर पर उनसे बात की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की कार्रवाई से परिजन और रिश्तेदार सभी संतुष्ट हैं, लेकिन सिर्फ भाजपा असंतुष्ट है। यही कारण है कि बीती रात नेता प्रतिपक्ष व भाजपा के अन्य नेता मृतक के पार्थिव शरीर के पास बैठकर नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने विपक्ष पर इस सारे मामले पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया और फिर पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया।
जहरीली शराब मामले में 4 दिन तक दर्ज नहीं हुई थी एफआईआर
सीएम ने कहा कि पूर्व सरकार के समय सुंदरनगर में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हुई, लेकिन 4 दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। इसके अलावा कर्मचारियों पर लाठियां बरसाईं व पुलिस भर्ती का पेपर लीक हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारी सरकार कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। सरकार ने सत्य जानने के लिए जांच बिठाई है।
विपक्ष कर रहा भड़काने का काम : चौहान
इससे पूर्व संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार के 4 मंत्रियों ने बीती रात इस मामले को सुलझा लिया है, लेकिन भाजपा इसमें आग लगाने और भड़काने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास न करे। सरकार का प्रयास है कि विमल नेगी और उसके परिजनों को न्याय मिले। इसी मुद्दे पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सारा मामला शांत हो गया है और परिजन भी संतुष्ट हैं, सिर्फ भाजपा असंतुष्ट है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को इसलिए सीबीआई को नहीं सौंप रही है क्योंकि सीबीआई और ईडी दोनों भाजपा के हाथ में हैं। उन्होंने माना कि विमल नेगी की मानसिक दबाव के कारण मौत हुई है जो दुखद है।
स्वयं मामले को देखेंगे : पठानिया
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विमल नेगी की मौत बेहद संवेदनशील मुद्दा है। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में सत्ता पक्ष, विपक्ष और विधानसभा पीड़ित परिवार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और वह स्वयं इस मामले को देखेंगे। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था देते हुए कहा कि उन्हें विमल नेगी की मौत के मामले में भाजपा के जयराम ठाकुर, डाॅ. जनकराज, रणधीर शर्मा, विपिन सिंह परमार और अन्य की ओर से नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव आज ही प्राप्त हुआ है। सरकार ने चूंकि इस मामले में पहले ही अपेक्षित कार्रवाई कर दी है। ऐसे में इस मामले को नियम-67 के तहत उठाने का अब कोई औचित्य नहीं है।
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