अब विधायक राणा ने फर्जी डिग्री कांड पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को लिखा खत

punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 06:37 PM (IST)

हमीरपुर : प्रदेश के बहुचर्चित फर्जी डिग्री कांड में करोड़ों के घोटाले की आवाज अब दिल्ली दरबार में पहुंची है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहने वाले कांग्रेस विधायक एवं पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा जहां इस मामले को लेकर प्रदेश विधानसभा में सरकार को लगातार घेरते रहे हैं। वहीं अपने धारदार बयानों से निरंतर सरकार को कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं। इससे पूर्व राणा ने राष्ट्रीय संस्थान एनआईटी हमीरपुर में भर्ती भ्रष्टाचार को लेकर स्टेट से सेंटर तक की सरकार को जगाकर राणा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने मंसूबे जाहिर किए थे।
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वहीं अब सेंटर सरकार के मुखिया व देश के मुखिया से लेकर राज्य सरकार गवर्नर व प्रदेश मुख्यमंत्री को मानव भारती विश्वविद्यालय में लंबे अरसे तक चले बेखौफ भ्रष्टाचार को लेकर आवाज बुलंद की है। राणा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार व राज्य सरकार गवर्नर को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है। राणा ने मीडिया को राष्ट्रपति, गवर्नर, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को लिखे पत्रों की प्रतियां दिखाते हुए कहा है कि वह लंबे अरसे से विधानसभा के भीतर और बाहर फर्जी डिग्री कांड के गंभीर मामले को लगातार उठाते रहे हैं। क्योंकि इस फर्जी डिग्री कांड में जहां करोड़ों का गबन और घोटाला किया गया है वहीं हजारों युवाओं के शैक्षणिक जीवन से सीधा-सीधा खिलवाड़ किया गया है।
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राणा ने आरोप जड़ा है कि इस मामले में सरकार असली गुनाहगार को बचाना चाह रही है और इस मामले के असली तथ्यों को छिपाना चाह रही है। जबकि बीजेपी सरकार के ही अपने सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने स्पष्ट कहा है कि वह न तो फर्जी डिग्री कांड की जांच से संतुष्ट हैं और न ही तत्कालीन सरकार व सिस्टम की कारगुजारी से संतुष्ट हैं। शांता कुमार ने यकीनी तौर पर कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है कि हजारों-लाखों जाली डिग्रियां सरेआम लाखों में बिकती रहीं लेकिन सरकार और सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगी। जाहिर तौर पर शांता कुमार की टिप्पणी यकीन करने के काबिल है। जिस पर प्रदेश में सत्तासीन सरकार को गौर करना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सरकार इस मामले में असली गुनाहगारों को बचाने के दबाव में है इसलिए तथ्यों को छिपाने के स्वाभाविक दबाव में है।

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prashant sharma

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