मंत्री जगत सिंह नेगी ने आपदा पर घेरी केंद्र सरकार, बोले-हिमाचल से किया जा रहा भेदभाव
punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2023 - 09:34 PM (IST)

शिमला (राक्टा): हिमाचल विधानसभा में नियम-102 के तहत लाए गए संकल्प पर तीसरे दिन चर्चा की शुरूआत करते हुए बागवानी मंत्री ने कहा कि बरसात के चलते प्रदेश को भारी नुक्सान हुआ है और केंद्र से राहत पैकेज को देखते-देखते हफ्ते और महीने बीत गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि जो संकल्प लाया गया है, वह ध्वनिमत से पारित होना चाहिए था। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि यदि हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जाता है तो इससे प्रदेश को बड़ा नुक्सान होगा।
लोग अब रोने वाली सरकार कह रहे : सुखराम
विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि लोग अब प्रदेश सरकार को रोने वाली सरकार कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हर जगह यही बोल रही है कि पैसा नहीं है।
सत्ती बोले-रिक्त पड़े तीनों मंत्री पद भरें मुख्यमंत्री
भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि हिमाचल में आई आपदा ने विकास की गति को रोक दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोई जनप्रतिनिधि क्रशर, फैक्टरी, होटल चलाता है तो उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस तरह के कारोबार से लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रिक्त पड़े मंत्री के तीनों पदो को भरें ताकि आपदा में ये आपके काम आ सकें।
भविष्य में रखा जाएगा पूरा ध्यान : विक्रमादित्य सिंह
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश पर भले ही आपदा आई है लेकिन इससे सीखने को भी बहुत कुछ मिला है। उन्होंने कहा कि आपदा में जो भी कमी सड़क निर्माण में सामने आई है, उसे भविष्य में नहीं दोहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी बंद सड़कों को इस महीने के अंत तक बड़े वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा।
सूचना तक देना उचित नहीं समझा : रीना
विधायक रीना कश्यप ने भी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदा कभी भी चेतावनी देकर नहीं आती। भारी बारिश के कारण कई इलाकों में भारी नुक्सान हुआ है। महिला विधायक ने कहा कि सदन में सरकार के केवल 3 ही मंत्री बैठे हैं। विपक्ष की संख्या सत्ता पक्ष से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि महिला सम्मान की बात करने वाले जब उनके विधानसभा क्षेत्र में आए तो उन्हें सूचना तक देना उचित नहीं समझा। बार-बार महिला के मान-सम्मान की बात करते हैं लेकिन बुलाया नहीं जाता। उन्होंने कहा कि केवल शिक्षा मंत्री ही हैं जो उनका मान-सम्मान करते हैं।
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