COVID-19 : मेडिकल कॉलेज नेरचौक की Microbiology Lab बनेगी मॉडल

punjabkesari.in Friday, May 15, 2020 - 05:29 PM (IST)

नेरचौक (हरीश): श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक में स्थापित माइक्रोबायोलॉजी लैब को एक मॉडल लैब बनाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए यह सराहनीय प्रयास लैब के विभागाध्यक्ष द्वारा शुरू कर दिया है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज नेरचौक को समर्पित कोविड-19 अस्पताल बनाया गया है और 17 अप्रैल से लैब में सैंपल की जांच का कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसमें अब तक मंडी, कुल्लू व लाहौल-स्पीति व इसके आसपास के जिलों के लगभग 1040 सैंपलों की जांच की जा चुकी है।
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लैब में लगाई गई हैं 2 मशीनें

माइक्रोबायोलॉजी की लैब में सैंपल की जांच के लिए 2 मशीनें लगाई गई हैं। एक मशीन क्षेत्रीय अस्पताल मंडी और दूसरी मशीन आईआईटी कमांद मंडी के सहयोग से लगाई गई है, जिन पर विभाग के 8 टैक्नीशियन और 5 फैकल्टी सुबह 8 से रात 11 बजे तक कार्य कर रहे हैं।
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48 से 78 घंटे तक खराब नहीं होते सैंपल

कोरोना वायरस के सैंपल 48 से 78 घंटे तक खराब नहीं होते हैं जबकि नेरचौक में सभी स्थानों से लाए जा रहे सैंपल 24 घंटे से पहले ही पहुंच रहे हैं। सैंपल जांच में जुटी टीम के साथ विभागाध्यक्ष भी टीम की हौसलाअफजाई के लिए कार्य करते रहते हैं। जांच कार्य में जुटी टीम पीजीआई चंडीगढ़ से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है।
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सैंपल जांच में इंफैक्शन का नहीं भय

ट्रिपल पैकेजिंग सिस्टम के साथ डिब्बों में सैंपल जांच के लिए नेरचौक पहुंचाए जा रहे हैं, जिन्हें लैब में बनाए गए सुरक्षात्मक क्षेत्र में कर्मचारी पीपीई किट पहनकर पूरी सावधानी से ऑप्ररेट करते हैं। सर्वप्रथम वायरस को किल करने का कार्य करते हैं और उसके बाद स्क्रीनिंनग के लिए लगाया जाता है। मशीन की निर्धारित रनिंग के बाद सैंपल की पॉजीटिव और नैगेटिविटी बारे जानकारी उपलब्ध हो पाती है।
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क्या कहते हैं माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमैंट के एचओडी

माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमैंट के एचओडी डॉ. दिग्विजय सिंह ने कहा कि कोविड-19 अस्पताल नेरचौक में स्थापित माइक्रोबायोलॉजी लैब में कोरोना सैंपल की जांच के कार्य को सावधानीपूर्वक सुचारू रूप से किया जा रहा है। अब तक लैब में 1040 सैंपल की जांच की जा चुकी है। लैब को प्रदेश की मॉडल लैब बनाए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। विभागीय उच्चाधिकारियों की मांग के मुताबिक 8 करोड़ के अन्य उपकरण लगाने का एक प्रपोजल तैयार कर भेजा गया है। कोरोना वायरस का इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है। वशिष्ट संस्थान इस पर शोध कार्य कर रहे हैं। शीघ्र ही सफलता मिलने की आशा है फिर भी लोगों को महामारी से बचाव में बरती जाने वाली सभी सावधानियों को गंभीरता से अपने जीवन में ढालना आवश्यक है।


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Vijay

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