Mandi: कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी शुरू करेगी SPU

punjabkesari.in Wednesday, Oct 09, 2024 - 06:40 PM (IST)

मंडी (रजनीश): एसपीयू इसी सत्र से कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी शुरू करेगी। यह निर्णय सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू) मंडी की दूसरी अकादमिक परिषद की कुलपति प्रोफैसर ललित कुमार अवस्थी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया। विश्वविद्यालय की दूसरी अकादमिक परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय और छात्र हितों को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। साथ ही बैठक में शैक्षणिक नीतियों, शिक्षा संबंधी रणनीतिक पहलों और आगामी कार्यक्रमों के संबंध में प्रस्तावित और पूरक एजैंडे पर चर्चा की गई। बैठक में संबोधित करते हुए प्रो. अवस्थी ने कहा कि बहुत से प्रासंगिक शैक्षणिक मुद्दे हैं जिन पर संस्थान और छात्रों के सर्वोत्तम हित में अकादमिक परिषद द्वारा तत्काल विचार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान हमें विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसी के चलते बैठक में स्व वित्त पोषण मोड पर एकीकृत कानून कार्यक्रम और बैचलर ऑफ एजुकेशन शुरू करने का निर्णय लिया, जिससे विश्वविद्यालय को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इसके साथ करियर एडवांसमैंट स्कीम को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय संकाय काफी लंबे समय से मांग कर रहा है। अकादमिक परिषद ने सैद्धांतिक रूप से यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार एसपीयू के संकाय के लिए करियर उन्नति योजना लागू करने का निर्णय लिया है।

पुनर्मूल्यांकन में रिजल्ट स्टेटस पास से फेल में नहीं बदला जाएगा
एसपीयू के विद्यार्थियों के पक्ष में एक और निर्णय लिया कि पुनर्मूल्यांकन अंकों को अंतिम रूप देने में संशोधन पर चर्चा करके निर्णय लिया गया कि यदि पुनर्मूल्यांकन के बाद अंकों में 10 प्रतिशत से अधिक बदलाव होता है तो अधिकतम दो अंकों का औसत दिया जाएगा। यदि पुनर्मूल्यांकन के बाद अंक उत्तीर्ण अंकों से कम हो जाते हैं तो न्यूनतम उत्तीर्ण अंक दिए जाएंगे। रिजल्ट स्टेटस पास से फेल में नहीं बदला जाएगा।

दो सैमेस्टर के पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों में 47 क्रैडिट दिए जाएंगे
सरदार पटेल विश्वविद्यालय यूजीसी की रैंकिंग में शामिल होकर इस दिशा में सुधार तथा छात्रों के ड्रॉपआऊट को रोकने के लिए क्रैडिट प्रणाली शुरू करने जा रहा है। अकादमिक परिषद के समक्ष जो पहला मुद्दा उठाया गया वह पीजीडीसीए पाठ्यक्रम में क्रैडिट प्रदान करने का था। इसके अलावा पीजीडीसीए छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए प्रवेश में समस्या का सामना न करना पड़े इसलिए पीजीडीसीए के छात्रों के हित में दो सैमेस्टर के पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों में 47 क्रैडिट देने का निर्णय लिया गया।

विद्यार्थियों के पास किए विषयों के क्रैडिट निरस्त नहीं होंगे
कुलपति ने बताया कि एसपीयू मंडी ने एकैडमिक बैंक ऑफ क्रैडिट भी लागू किया है लेकिन वर्तमान क्रैडिट और प्रमोशन मानदंडों में विरोधाभास है जिसके परिणामस्वरूप ड्रॉपआऊट अनुपात बढ़ गया है। छात्रों के ड्रॉपआऊट को कम करने के लिए अकादमिक परिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के 3 पाठ्यक्रमों तक दोबारा परीक्षा देने वाले छात्रों को अगली उच्च कक्षा में जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। इन 3 पाठ्यक्रमों को 5 वर्ष की समय सीमा में उत्तीर्ण करने की अनुमति दी जाएगी।

इससे पहले छात्रों को 3 विषयों में दोबारा परीक्षा देने से पहले अगली उच्च कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाता था जो उच्च ड्रॉपआऊट का कारण था। पहले उन्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए 2 मौके मिलते थे और अगर वे 2 मौकों में असफल हो जाते थे तो उनके पूरे उत्तीर्ण विषय भी अमान्य मान लिए जाते थे जिसके परिणामस्वरूप उनके 2 साल बर्बाद हो जाते थे और पहले वर्ष में फिर से प्रवेश लेना पड़ता था। अब विद्यार्थियों के पास किए विषयों के क्रैडिट निरस्त नहीं होंगे।

एसपीयू ने नई अनुसंधान नीति तैयार की
प्रो. अवस्थी ने बताया कि नवप्रवर्तन एवं रचनात्मकता के लिए शोध अत्यंत आवश्यक है। इसे ध्यान में रखते हुए एसपीयू ने नई अनुसंधान नीति तैयार की है जो बाहरी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं और पेटैंट बढ़ाने को बढ़ावा देगी। विश्वविद्यालय संकाय के बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं से समान अनुदान प्रदान करेगा और रुपए भी प्रदान करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक संकाय को 20,000 रुपए प्रत्येक पेटैंट के लिए जो उसके द्वारा दायर किया जाएगा, दिए जाएंंगे। इसके अलावा कालेज शिक्षकों के लिए पीएचडी उम्मीदवारों की निगरानी को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई। इसके लिए पीवीसी की अध्यक्षता में डीएसडब्ल्यू, डीन रिसर्च, डीएए और डीन प्लानिंग के साथ एक समिति का गठन किया गया जो अपनी रिपोर्ट अकादमिक कौंसिल को सौंपेगी।


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Content Writer

Kuldeep

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