अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में कायम रहेगी परंपरा, इस बार इतनी हजार महिलाएं एक साथ डालेंगी ‘महानाटी’

punjabkesari.in Sunday, Sep 29, 2019 - 04:08 PM (IST)

कुल्लू: अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा से कुल्लू नाटी को नई पहचान मिली है तथा विश्व रिकॉर्ड का तमगा भी हासिल हुआ है। लिहाजा इस बार भी दशहरा उत्सव में इस परंपरा को कायम रखा जाएगा। 12 अक्तूबर को रथ मैदान में पारंपरिक वेशभूषा में 4 हजार महिलाएं एक साथ कुल्लवी नाटी डालेंगी। इसके लिए दशहरा सब कमेटी ने तैयारी शुरू कर दी है। करीब एक घंटे तक चलने वाली इस नाटी में महिलाएं ढोल-नगाड़ों की धुन के साथ पहाड़ी गीतों पर थिरकेंगी। महानाटी के नोडल अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी विरेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि नाटी में जिलाभर से करीब 4 हजार महिलाओं को आमंत्रित किया जाएगा। इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं और सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक महिलाओं को लेकर आने को कहा गया है।

6 वर्षों से जारी है पारंपरिक कुल्लू नाटी का आयोजन

उल्लेखनीय है कि दशहरा उत्सव में पिछले 5 से 6 सालों से कुल्लू की पारंपरिक कुल्लू नाटी का आयोजन किया जा रहा है। नाटी का सबसे आकर्षक दृश्य 2014 और 2015 को दशहरा उत्सव में देखने को मिला था। यहां क्रमश: 6000 और 9800 महिलाओं ने संयुक्त रूप से ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाटी डालकर इतिहास रचा था। दशहरा उत्सव की बैठक में कुल्लवी नाटी को बंद करवाने पर भी विचार किया जा रहा था लेकिन विरोध के बाद नाटी को नियमित रूप से जारी रखने पर सहमति बनी।

26 अक्तूबर, 2015 को रचा था इतिहास

26 अक्तूबर, 2015 को ढालपुर के रथ मैदान में 9892 महिलाओं ने एक साथ पहाड़ी वेशभूषा में सजकर कुल्लवी नाटी डालकर इतिहास रच दिया था। यह नाटी दुनिया की सबसे बड़ी नाटी में शामिल की गई और प्राइड ऑफ कुल्लू के नाम से हुई इस नाटी को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड का तमगा दिया गया था। इस नाटी का हिस्सा बाह्य सराज आनी, निरमंड से लेकर बंजार, सैंज, भुंतर, बजौरा, मणिकर्ण घाटी, लगवैली, खराहल और ऊझी घाटी के महिलाओं ने भाग लिया था।


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Vijay

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