पांवटा के जंगलों में खूब सक्रिय है शराब माफिया, पुलिस व वन विभाग के छापे बेअसर

punjabkesari.in Sunday, Jan 23, 2022 - 11:42 PM (IST)

नाहन (एसआर पुंडीर): सिरमौर के पांवटा उपमंडल में गैर-कानूनी शराब बनाने वालों का ‘साम्राज्य’ बदस्तूर जारी है। पुलिस की समय-समय पर होने वाली ताबड़तोड़ छापेमारी भी इनकी कमर नहीं तोड़ सकी है और न ही इनकी बड़ी धरपकड़ हो सकी है। पांवटा क्षेत्र में इस कारोबार के फलने-फूलने का मुख्य कारण है इस ‘अवैध माल’ की उत्तराखंड तथा हरियाणा में सप्लाई के मार्ग खुले होना। पांवटा की उत्तराखंड सीमा पर 45 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में यमुना नदी सूखी है। अवैध कारोबारी ट्रक की ट्यूबों में इस ‘अवैध माल’ की सप्लाई करते हैं, जबकि हरियाणा के लिए तो यदि सड़क से संभव न हो तो धंधेबाज जंगलों के रास्ते सीधे हरियाणा के यमुनानगर जिले में घुस जाते हैं।

जंगलों में अवैध भट्ठीबाजों का ‘साम्राज्य’

पांवटा उपमंडल में वन विभाग की लाई खारा वन बीट में अवैध शराब के कारोबारियों का सबसे बड़ा अड्डा है। इसके अलावा सहस्रधारा के साथ लगते वन विभाग की गोजर शिलाता बीट तथा पांवटा के निकट राजबन के सामने धारटी हिल्स के गातू वाली धार के जंगल में भी अवैध शराब बनाने वालों के कारोबार हैं।

ऐसे बनती है शराब

जानकारों का कहना है कि शराब निकालने के लिए गुड़ बनाते समय गन्ने के रस का वेस्ट जिसे शीरा अथवा राब भी कहा जाता है, उसका अवैध शराब निकालने में मुख्य घटक के रूप में इस्तेमाल होता है और इसे लाहण कहा जाता है। लाहण में उफान लाने के लिए उसमें नौशादर इत्यादि अनेक जहरीले कैमिकल डाले जाते हैं। यही तत्व पीने वाले की जान लेने का काम करते हैं।

वन विभाग भी तोड़ रहा है भट्ठियां

पांवटा के वन मंडलाधिकारी कुनाल अंदरीश ने बताया कि खारा, गोजर शिलाता व गातू वाली धार के जंगलों में उनका स्टाफ अनगिनत बार शराब की भट्ठियों को नष्ट कर चुका है। वन विभाग के स्टाफ को सख्त हिदायतें हैं कि जगलों के भीतर कोई भी अवैध कारोबार नहीं होना चाहिए। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से कर्मचारियों की टीमें बना कर शराब माफिया पर धावा बोला जाता है तथा इनका शराब निकालने का कारोबार नष्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले साल विभागीय कर्मियों ने 25,000 लीटर लाहण को नष्ट किया है। यह काम सुदूर जंगलों में खालों-नालों के किनारे पर ही होता है। उन्होंने कहा कि प्रयासों के बावजूद अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त लोग इस काम को छोडऩे को तैयार नहीं हैं। उन्होंने प्रशासन से भी इस मुद्दे को उठाया है कि इन गांवों में लोगों को अन्य कार्यों का प्रशिक्षण देने का अभियान चलाया जाए ताकि इन लोगों का इस गैरकानूनी कारोबार से ध्यान हटाया जा सके।

शातिर भट्ठीबाज नहीं पकड़े जाते

सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया का नैटवर्क जबरदस्त है। छापे की भनक लगते ही वे जंगलों में भाग जाते हैं, जिस कारण पुलिस इन शातिर भट्ठीवालों को पकड़ नहीं पाती है। यूं भी पुलिस छापे के भय से शराब निकालने का यह काम अक्सर रात को ही होता है। सड़कों के किनारे व रास्तों में इनके लोग किसी भी आने-जाने वाले की निगरानी करने के लिए छुप कर बैठे होते हैं तथा भट्ठीबाजों को पल-पल की खबर देते रहते हैं। पुलिस छापेमारी कर भ_ियों को नष्ट करके चली जाती है।

सस्ते जुगाड़ को नष्ट करने से नहीं पड़ता खास असर

वास्तव में भट्ठियों को नष्ट करने का अवैध शराब के कारोबारियों पर खास असर नहीं पड़ता है। यह सस्ता जुगाड़ होता है। इसमें एक खाली ड्रम व छोटा-सा पाइप का टुकड़ा ही शामिल होता है। पुलिस की पकड़ में तो अक्सर वही लोग आते हैं, जो इस अवैध शराब को बेचने का प्रयास कर रहे होते हैं।

एक्शन में रहती है पुलिस

पुलिस ने हाल ही के महीनों में भारी मात्रा में लाहण को नष्ट किया है तथा अवैध शराब भी पकड़ी है। सूत्र बताते हैं कि कई लोग तो जेल से छूटने के बाद भी फिर से इस धंधे में आ जाते हैं। हालांकि पुलिस ने पांवटा क्षेत्र में इस कारोबार पर पूरा अंकुश रखा हुआ है।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News