यहां घाटी में आज से गूंजेंगी गालियां, पारंपरिक तरीके से मनाया लोहड़ी व मकर संक्रांति उत्सव

punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2020 - 08:38 PM (IST)

कुल्लू, (दिलीप): कुल्लू घाटी में पारंपरिक तरीके से लोहड़ी व मकर संक्रांति उत्सव को मनाया जाता है। इस दौरान गांव में जहां कई प्रकार के व्यंजनों को परोसा जाता है, वहीं लगघाटी में भल्ले की महक होती है। इस दौरान पूरी घाटी में मेहमाननवाजी का भी खूब दौर चलता है। मकर संक्रांति के लिए कुल्लू जिला के बाजार भी खास तौर पर सज गए हैं। जिला मुख्यालय ढालपुर, लोअर ढालपुर, सरवरी, अखाड़ा बाजार, भुंतर, मनाली व पतलीकूहल सहित सभी बाजारों में लोहड़ी व मकर संक्रांति के उत्सव के चलते काफी चहल-पहल रही।

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बुरी शक्तियों को भगाने के लिए गालियां भी दी जाती हैं

 उत्सव के चलते दुकानों में अखरोट, मूंगफली, गजक व रेवड़ी की काफी डिमांड रही, वहीं घाटी में आज के दिन लोग अपने घरों में भल्ले ही बनाते हैं और अपने कुल देवता सहित अन्य देवी-देवताओं को उसका भोग भी चढ़ाते हैं। ऐसे में भूमतीर गांव में देवता श्रीकृष्ण ने देव खेल कर इस उत्सव का आगाज किया, वहीं देर शाम को यहां से बुरी शक्तियों को भगाने के लिए गालियां भी दी जाती हैं। देवता के कारदार सितारे चंद ने बताया कि मकर संक्रांति के दौरान से ही घाटी में इसकी धूम रहती है। उन्होंने कहा कि देवता श्रीकृष्ण के निकलने के साथ ही यहां पर मकर संक्रांति का आगाज किया जाता है, साथ ही बुरी शक्तियों को भगाने के लिए भी घाटी में गालियां दी जाती हैं।

365 जड़ी-बूटियों से बनाई ढेली को तीर-कमान से भेदने पर पूरी होती है मनोकामना

मेहर चंद ने बताया कि 3 दिन के बाद देवता हुरगू नारायण का भी यहां पर मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में 365 जड़ी-बूटियों से बनाई गई ढेली को तीर-कमान से भेदा जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और बारी-बारी से इस ढेली पर अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए इस पर निशाना साधते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी इस ढेली को भेदता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।


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Kuldeep

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