Himachal: किन्नौर में सबसे अधिक भालू और शिमला में सबसे अधिक तेंदुए, जानें राज्य में कितनी है इनकी संख्या

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2024 - 11:48 AM (IST)

हिमाचल डैस्क: हिमाचल प्रदेश में पहली बार की गई गणना ने राज्य में एशियाई काले भालुओं और तेंदुओं की बढ़ती संख्या पर रोशनी डाली है। हाल ही में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में 529 काले भालू और 510 तेंदुए हैं। किन्नौर जिले में सबसे ज्यादा काले भालू पाए जाते हैं, इसके बाद कुल्लू, शिमला, चंबा, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, लाहौल-स्पीति और सोलन आते हैं।

तेंदुओं की बात करें तो शिमला जिले में सबसे ज्यादा तेंदुए हैं, उसके बाद सोलन, मंडी, सिरमौर, किन्नौर, कुल्लू, कांगड़ा, चम्बा, हमीरपुर, ऊना और लाहौल-स्पीति में इनकी संख्या ज्यादा है। जनगणना के अनुसार तेंदुओं का घनत्व 100 वर्ग किलोमीटर में 1.5 है, जबकि काले भालुओं का घनत्व थोड़ा अधिक यानी 100 वर्ग किलोमीटर में 2 है।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक भीम दत्त जोशी ने कहा कि यह हिमाचल में काले भालुओं और तेंदुओं की पहली ऐसी गणना है, जो राज्य में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के मद्देनजर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के साथ मिलकर जुटाई गई, जिससे वन्यजीवों की बेहतर समझ हो सके और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।

2021 में हिमाचल प्रदेश के वन विभाग द्वारा फंड और कमीशन की गई इस गणना को पूरा होने में 2 साल से ज्यादा का समय लगा। राज्यभर से 2000 से अधिक नमूने इकट्ठा किए गए ताकि भालू और तेंदुओं की संख्या का सही अनुमान लगाया जा सके। वैज्ञानिकों ने इसके लिए गैर-हस्तक्षेप डीएनए सैंपलिंग, कैमरा ट्रैप और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत का सहारा लिया। जोशी ने बताया कि वन्यजीवों की निगरानी के लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग के 1948 फील्ड स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया गया, ताकि डेटा संग्रहण सही और व्यापक हो सके। डीएनए सैंपल को राज्य के विभिन्न जंगलों में पशु वाले रास्तों से इकट्ठा किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में काले भालू और तेंदुओं की मजबूत संख्या यह दिखाती है कि ये प्रजातियां लचीली हैं और उनकी आनुवंशिक विविधता यह बताती है कि दीर्घकालिक जनसंख्या की स्थिरता के लिए आनुवंशिक अखंडता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। जनगणना ने विशेष रूप से लाहौल क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष पर भी ध्यान केंद्रित किया है जहां कृषि गतिविधियां जंगल के किनारे होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार लाहौल घाटी के जंगलों के पास के कृषि क्षेत्रों में मानव-भालू संघर्ष की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय हैं। इन घटनाओं को कम करने के लिए प्रबंधन की बेहतर रणनीतियों की जरूरत है।
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Content Writer

Vijay

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