बरसात के मौसम में डर के साये में जी रहा जमना दास

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 11:33 AM (IST)

स्वारघाट : अपने वे नहीं जो तस्वीर में साथ खड़े होते हैं अपने तो वे हैं जो मुश्किल हालात में साथ खड़े होते हैं। कुछ इन्हीं पंक्तियों का मूलभाव समेटे यह कहानी लखाला गांव के जमना दास की है जिसे पहले बीमारी ने लाचार बना दिया और जब अपनों की परीक्षा की घड़ी आई तो हमसफ र भी बीच मझधार साथ छोड़ चलते बने। जी हां, एक तो मानसून का आगाज और ऊपर से कच्चा मकान होने से भीतर रिसते पानी के कारण डर के साये में जीवन व्यतीत कर रहा जमना दास आवास संबंधी राशि मुहैया करवाने के लिए हर जगह फ रियाद लगाकर अब इस जीवन से तंग आ गया है।

विकास खंड स्वारघाट की ग्राम पंचायत बैहल के गांव लखाला का 70 वर्षीय यह बाशिंदा जमना दास पुत्र गीता राम मात्र एक कच्चे कमरे में जीवन यापन कर रहा है, जिसमें थोड़े बहुत सामान सहित मात्र 1 चारपाई लगाने तक की व्यवस्था है। टी.बी. की बीमारी से ग्रस्त जमना दास आवास के लिए उपलब्ध करवाई जाने वाली राशि के लिए पंचायत व विकास खंड अधिकारी सहित डी.सी. तक फ रियाद लगा चुका है लेकिन अफ सोस अभी तक भी गरीब जमना दास पर प्रशासन की नजर-ए-इनायत नहीं हो पाई है।

आवास संबंधी राशि के लिए चक्कर काट रहे जमना दास ने बताया कि गरीबी के चलते परित्याग कर चुकी उसकी धर्मपत्नी के बाद वह अकेला इस छोटे से 1 कमरे में जीवन यापन कर रहा है, जिसमें बामुश्किल एक चारपाई, चूल्हा जलाने के लिए लकडिय़ां और थोड़े बहुत सामान सहित आवश्यक कागजात रखने तक की ही जगह है। जमना दास बताता है कि वह टी.बी. की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण लाचार हो चुका है। इस शरीर की उखड़ती सांसों में अब इतना दम बाकी नहीं रह गया है कि वह बारिश लगने की स्थिति में अपनी चारपाई तक को अंदर कर सके।

 


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kirti

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