6000 करोड़ के घोटाले का मामला : हाईकोर्ट के आदेशों पर अब दूसरी बार होगी इंडियन टैक्नोमैक कंपनी की नीलामी

punjabkesari.in Sunday, Dec 26, 2021 - 12:13 AM (IST)

गैर-हिमाचली व गैर-कृषक जैसी कोई शर्त नहीं होगी
नाहन (साथी):
6000 करोड़ रुपए के घोटाले में कराधान विभाग के 2200 करोड़ रुपए टैक्स चोरी के  मामले में फंसी इंडियन टैक्नोमैक कंपनी की हाईकोर्ट के आदेशों पर अब 28 दिसम्बर को दूसरी बार नीलामी होने जा रही है। इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के पांवटा ब्लॉक के जगतपुर गांव में स्थित विशाल परिसर को बेचकर करीब 2200 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली के लिए हाईकोर्ट ने सितम्बर, 2019 में पहली बार नीलामी के आदेश दिए थे लेकिन उस वक्त नीलामी सिरे नहीं चढ़ी थी।अब दूसरी बार नीलामी होगी। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने बोलीदाताओं को संपत्ति खरीदने के मामले में धारा-118 की शर्तों से छूट दे दी है। यानी गैर-हिमाचली व गैर-कृषक जैसी कोई शर्त नहीं होगी। देश में टैक्स चोरी का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है, जहां मिलीभगत से कं पनी ने सरकार को 2200 करोड़ रुपए के टैक्स का चूना लगाया है।

देश के कई बैंकों के हजारों करोड़ रुपए डूबे

इंडियन टैक्नोमैक कंपनी में करीब 6000 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। देश के कई बैंकों के हजारों करोड़ रुपए डूबे हैं। घोटाले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजैंसियां ईडी व सीबीआई लगी हैं। कंपनी के कई बड़े अधिकारी पकड़े गए और जेल की हवा खा चुके हैं। कराधान विभाग ने कंपनी की नीलामी के लिए 303 करोड़ रुपए न्यूनतम बोली तय की है। विभाग द्वारा केंद्रीय हिमकॉन एजैंसी से कंपनी की वैल्यूएशन करवाई गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब देशभर का कोई भी व्यक्ति या फर्म नीलामी में भाग लेकर इसे खरीद सकते हैं। पूर्व में सरकारी आदेशों के अनुसार हिमाचली ही नीलामी में बोली लगा सकते थे।

2014 में सील की थी कंपनी

मार्च, 2014 में आबकारी एवं कराधान विभाग की टीम ने इंडियन टैक्नोमैक कंपनी पर सही तरीके से वैट न जमा करवाने पर कार्रवाई करते हुए फैक्टरी को सील कर दिया था। कंपनी पर कराधान विभाग ने वर्ष 2009 से लेकर मार्च 2014 तक 2200 करोड़ रुपए का टैक्स चोरी करने का मामला बनाया था। विभाग की टीम ने वर्ष 2009-10 में कंपनी पर 100 करोड़, 2010-11 में 79 करोड़ 18 लाख 97 हजार का बकाया टैक्स जो कि पैनल्टी व ब्याज लगाकर 269 करोड़ 72 लाख 18 हजार 25 रुपए आंका गया। इसी प्रकार वर्ष 2011-12 का टैक्स 151 करोड़ 39 लाख 43 हजार 289 रुपए बना। इस पर विभाग द्वारा ब्याज व पैनल्टी लगाकर यह राशि 378 करोड़ 18 लाख 35 हजार 492 रुपए रिकार्ड हुई। वर्ष 2012-13 में 231 करोड़ 18 लाख 74 हजार 509 रुपए बकाया था। जो विभाग द्वारा लगाए गए ब्याज व पैनल्टी को मिलाकर 769 करोड़ 42 लाख 84 हजार 45 रुपए बना। वर्ष 2013-14 के दौरान 2014 करोड़ 48 लाख 13 हजार 582 रुपए बकाया है, जिस पर विभाग द्वारा ब्याज व पैनल्टी लगाकर यह राशि 683 करोड़ 53 लाख 63 हजार 927 रुपए बन गई। यह राशि सीएसटी व वैट को मिलाकर 2200 करोड़ बनी है।

2 साल से अधिक समय तक कोर्ट में लटका रहा मामला

जानकारी के अनुसार कराधान विभाग द्वारा कंपनी को सील करने के बाद कंपनी प्रबंधन हाईकोर्ट, ट्रिब्यूनल व सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन कंपनी को कोई राहत नहीं मिली। 2 साल से अधिक समय तक मामला कोर्ट में लटका रहा। करीब 250 बीघा भूमि में फै ले परिसर में कंपनी कई प्रकार के प्रोडक्ट बनाती थी। इसमें स्टील फैरो लोयज व रॉ मैटीरियल को मैल्ट कर स्टील का सामान तैयार किया जाता था। कंपनी वर्ष 2008 में शुरू हुई थी। 6 वर्ष के दौरान कंपनी ने भारी मात्रा में स्टील की प्रोडक्शन की और उसे देश के विभिन्न राज्यों में भेजा। मगर कंपनी ने कराधान विभाग को बाहर से आने वाले कच्चे माल व तैयार माल के अधूरे दस्तावेज बैरियर व कार्यालय में जमा करवाए।

कोर्ट ने नियुक्त किया लिक्यूडेटर 

कोर्ट ने इंडियन टैक्नोमैक कंपनी से कई विभागों की वसूली के लिए एक लिक्यूडेटर नियुक्त किया है, जो आबकारी एवं कराधान विभाग, बिजली बोर्ड व बैंकों के अलावा अन्य सभी विभागों की देनदारियों को नीलाम कर मिलने वाली राशि को अनुपात के हिसाब से सभी में प्रतिशत से बांटेगा।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News