IIT Mandi के शोधकर्ताओं का खुलासा, पंजाब बन रहा कैंसर की राजधानी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 10, 2023 - 11:59 PM (IST)

मंडी (रजनीश हिमालयन): पंजाब को कभी भारत का रोटी का कटोरा कहा जाता था लेकिन अब इसे भारत की कैंसर राजधानी के रूप में जाना जाता है। पानी प्रदूषण के गंभीर परिणामों और मानव स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव इसके पीछे का कारण माना जा रहा है। पंजाब राज्य के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में पीने के पानी से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा है जबकि पंजाब के पूर्वोत्तर में तुलनात्मक रूप से भूजल (पानी) की गुणवत्ता अच्छी पाई गई है। इसका खुलासा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में किया है। टीम ने वर्ष 2000 से 2020 तक पंजाब राज्य में पीने के पानी की गुणवत्ता में हो रहे बदलावों पर शोध किया है जिसमें पाया गया कि पंजाब में भूजल की गुणवत्ता में चिंताजनक बदलाव हो रहा है। शोध में यह भी पाया गया है कि कृषि अवशेषों और मानवीय गतिविधियों के माध्यम से भी भूजल प्रदूषण को बढ़ावा मिला है। शोध टीम का नेतृत्व आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एन्वायरनमैंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफैसर डाॅ. डेरिक्स प्रेज शुक्ला द्वारा किया गया है और इसमें उनका सहयोग पीएचडी की छात्रा हरसिमरन जीत कौर रोमाना ने किया है।

फसल पैट्रन से महसूस किया गहरा बदलाव
भारत के ज्यादातर कृषि आधारित राज्यों की तरह पंजाब ने भी पिछली आधी शताब्दी के दौरान अपने फसल पैट्रन में गहरा बदलाव महसूस किया है जिसका मुख्य कारण हरित क्रांति है। इस परिवर्तन ने चावल और गेहूं की उच्च उपज देने वाली दोनों किस्मों के एकाधिकार के प्रभुत्व को जन्म दिया है जिससे पंजाब भारत में गेहूं उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। दुर्भाग्य से इन गहन कृषि पद्धतियों के कारण अत्यधिक भूजल का दोहन हुआ है, वहीं अच्छे मानसून के अभाव में 74 प्रतिशत से अधिक सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूजल का उपयोग किया जाता है। पिछले 2 दशकों में मानसून की कमी के कारण तीव्र रूप से भूजल की मांग बढ़ी है। 

भूजल के प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुईं
भूजल स्तर नीचे जाने से इसकी गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। भूजल विभाग और स्थानीय किसानों को गहरे भू वैज्ञानिक स्तर से भूजल का दोहन करना पड़ता है जो भारी धातुओं से भरपूर होता है और कुछ रेडियोएक्टिव होते हैं जिनका स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। देखा जाए तो पंजाब की 94 प्रतिशत आबादी अपने पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल पर निर्भर है, इसलिए भूजल के प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुई हैं।

शोध में 315 से अधिक स्थानों को किया गया था शामिल
शोध टीम ने पंजाब में 315 से अधिक स्थानों से पीएच, विद्युत चालकता (ईसी), और विभिन्न आयनों का माप शामिल था। इन परिणामों से एक परेशान करने वाली स्थिति सामने आई है कि पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है, जिससे निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, वहीं इसके विपरीत हिमालयी नदियों द्वारा पोषित उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता तुलनात्मक रूप से बेहतर रही है।

क्या बाेले आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफैसर
आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफैसर डॉ. डीपी शुक्ला ने बताया कि पीने के पानी के लिए भूजल की गुणवत्ता 2000 से 2020 तक विभिन्न स्थानों पर कैसे बदल गई है, इसके लिए नाइट्रेट और फ्लोराइड जैसे दूषित पदार्थों से जुड़े स्वास्थ्य खतरों में 10 साल के रुझानों की जांच की गई। इसके साथ ही विशेष रूप से निम्न भूजल गुणवत्ता वाले क्षेत्रों की पहचान भी की गई।

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Content Writer

Vijay

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