पदोन्नति की तारीख से नहीं दिया वित्तीय लाभ, सचिव कार्मिक और डीजीपी की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 21, 2022 - 11:27 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मी को पदोन्नति की तारीख से वित्तीय लाभ न देने के मामले में सचिव कार्मिक और पुलिस महानिदेशक की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने निर्णय में कहा कि दोनों अधिकारियों को कानून का पर्याप्त ज्ञान होने के कारण उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे अज्ञानता का ढोंग नहीं करेंगे। उन्होंने याचिकाकर्ता को फिजूल में ही मुकद्दमेबाजी में घसीटने का कृत्य किया है। अदालत ने सुरक्षा रांटा की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे वर्ष 2009 से 2015 तक सारे वित्तीय लाभ दिए जाने के आदेश दिए हैं। ये लाभ 30 दिनों के भीतर देने होंगे अन्यथा अदालत ने 9 फीसदी ब्याज देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों की अनुपालना 27 अक्तूबर के लिए तलब की है।

याचिकाकर्ता अमित की माता सुरक्षा रांटा वर्ष 2000 से कांस्टेबल के पद पर थीं। वर्ष 2002 में उसे हैड कांस्टेबल पदोन्नत किया गया था। वर्ष 2009 से उसे एएसआई के पद पर पदोन्नत किया जाना था। उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने की वजह से उसे पदोन्नत नहीं किया गया। वर्ष 2015 मेें उसे आपराधिक मामले से बरी किया गया था। उसके बाद विभाग ने उसे वित्तीय लाभ से वंचित रखते हुए 2009 से पदोन्नत्त कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि विभाग का यह निर्णय गलत है। कर्मी को मामले के तथ्यों के दृष्टिगत वित्तीय लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता है। सामान्य नियम काम नहीं तो वेतन नहीं उस मामले में लागू नहीं होता जहां कर्मचारी काम करने का इच्छुक है और उसे काम से दूर रखा जाता है।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News