छात्रवृत्ति घोटाला : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व CBI से 2 सप्ताह में मांगा जवाब

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 11:27 PM (IST)

शिमला: सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किए जाने को प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जनहित में दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2,772 शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार तथा सीबीआई को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।

सीबीआई की ओर से अदालत से गुहार लगाई गई कि चूंकि वह मामले की जांच कर रही है तो इस स्थिति में उसे सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजनिक न हो। अदालत ने सीबीआई की इस गुहार को स्वीकार किया और सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए। याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है। मामले की आगामी सुनवाई 14 नवम्बर को निर्धारित की गई है।

जनहित में दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी संलग्न किया है। प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजैंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था। इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए 10 फ ीसदी तक कमीशन लेते थे।

याचिका में संलग्न खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था। यहां पर स्कॉलरशिप जारी करवाने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन का पैसा देते थे। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटती थी। इस बात की तस्दीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है। इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के राडार पर आए।

सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फ ाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था। निचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे। जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था।


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Vijay

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