मैडीकल कॉलेज भवन के लिए पेड़ों के कटान की फाइल अटकी

punjabkesari.in Friday, Oct 11, 2019 - 05:05 PM (IST)

नाहन (साथी): मैडीकल कॉलेज की 2 बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को लेकर संबंधित क्षेत्र में खड़े पेड़ों के कटान की फाइल अभी अटकी है। डी.एफ.ओ. कार्यालय द्वारा फाइल वापस लौटाने के बाद मैडीकल कॉलेज प्रबंधन ने डी.सी. कार्यालय से पेड़ों की कटान की अनुमति देने की गुहार लगाई है। इसी कड़ी में डी.सी. 11 अक्तूबर को संबंधित विभागों की बैठक लेंगे ताकि मामले का तय समय में निपटारा किया जा सके। मैडीकल कॉलेज प्रबंधन के सूत्रों अनुसार डीएफओ कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर कटान संबंधित फाइल वापस लौटाई है जबकि 5 हैक्टेयर भूमि में खड़े पेड़ों के कटान के आदेश डी.सी. की अध्यक्षता में गठित कमेटी कर सकती है। सरकार ने कमेटी को यह आदेश पूर्व में दे रखे हैं।

कमेटी में वन विभाग, नगर परिषद, राजस्व विभागों के अधिकारियों को बतौर सदस्य शामिल किया गया है लेकिन पिछले कुछ महीनों से फाइल क्लीयर न होने से अब मैडीकल कॉलेज अस्पताल व कालेज के शैक्षणिक भवन का निर्माण भी शुरू नहीं हो सका है जिसके चलते अनावश्यक देरी हो रही है। निर्माण कार्य का टैंडर अवार्ड हो चुका है। संबंधित कंपनी के कर्मी निर्माण के लिए पहुंच चुके हैं। निर्माण कार्य के लिए तय समयसीमा भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

एम.बी.बी.एस. के छात्र  सुविधाओं से महरूम

मैडीकल कालेज में एमबीबीएस. के प्रवेश का तीसरा साल चल रहा है। अगले वर्ष एम.बी.बी.एस. का चौथा बैच बैठने वाला है। एम.सी.आई. के मापदंडों और शर्तों अनुसार छात्रों को उपलब्ध होने वाला आधारभूत ढांचा अभी उपलब्ध नहीं हुआ है। जिस तरह से धीमी गति से फाइलें चल रही हैं उससे यह नहीं लगता कि आने वाले कई सालों में छात्रों को आधारभूत ढांचा उपलब्ध हो सकेगा। फिलहाल कालेज पुराने क्षेत्रीय अस्पताल की इमारतों समेत पी.जी. कालेज की पुरानी इमारतों में चलाया जा रहा है। अभी 300 बिस्तरों वाले अस्पताल की बहुमंजिला इमारत का निर्माण होना है। छात्रों के लिए शैक्षणिक भवन भी अभी बनना है। सुविधाओं की कमी के चलते प्रदेश व दूसरे राज्यों से आने वाले एम.बी.बी.एस. के छात्र भी परेशान हैं। 

हॉस्टल व आवासीय भवन के लिए लग सकते हैं 10 वर्ष

करोड़ों रुपए उपलब्ध होने के बावजूद कॉलेज की इमारतों का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हुआ है जबकि छात्रों के लिए हॉस्टल व कालेज की फैकल्टी के लिए पिछले कई सालों से निजी क्षेत्र की इमारतों को मोटे किराए पर लिया गया है। एम.सी.आई. के दिशा-निर्देशानुसार मैडीकल कॉलेज में आने वाले 70 फीसदी छात्रों की क्षमता वाले हॉस्टल होना आवश्यक है। साथ ही 30 प्रतिशत कॉलेज फैकल्टी के लिए आवासीय सुविधा सरकारी स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए जोकि यहां नहीं है। यही वजह है कि कॉलेज प्रबंधन को लाखों रुपए सालाना किराए के रूप में देने पड़ रहे हैं। हॉस्टल व आवासीय इमारतों की प्रपोजल अभी नहीं बनी है लेकिन यह मैडीकल कॉलेज के प्रोजैक्ट में होती है। इनके लिए प्रपोजल कब बनेगी। केंद्र सरकार कब बजट देगी और यह इमारतें कब छात्रों व फैकल्टी को मिलेंगी, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। प्रबंधन के सूत्रों अनुसार अगर ऐसा ही चलता रहा तो 10-15 साल तो लगेंगे ही। 

रूरल हैल्थ सैंटर जमटा में

मैडीकल कॉलेज के तहत एम.बी.बी.एस. छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए अलग से रूरल हैल्थ सैंटर बनाए जाने का प्रावधान रखा गया है लेकिन रूरल हैल्थ सैंटर की इमारत बनाने का प्रावधान करीब 13 किलोमीटर दूर जमटा गांव में रखा गया है। यह सैंटर भी अभी कहीं नजर नहीं आता। 


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Edited By

Simpy Khanna

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