भद्रकाली मंदिर के समीप लगे हैं गंदगी के ढेर, नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर स्थानीय लोग
punjabkesari.in Thursday, Aug 23, 2018 - 02:11 PM (IST)

दौलतपुर चौक: श्रावण अष्टमी मेला शांतिपूर्वक सम्पन्न होने को सबसे बड़ा अधिमान दिया जा रहा है। इस दौरान आस्था की आड़ में किस हद तक स्थानीय जनता को नरक जैसी स्थिति से रू-ब-रू होना पड़ता है, इसका अंदाजा मेले के उपरांत पसरी गंदगी को देखकर लगाया जा सकता है लेकिन इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं है।साफ-सफाई की बात की जाए तो इस दौरान पूरे मेला क्षेत्र को स्वच्छता की दृष्टि से चाक-चौबंद रखने को लेकर भले ही कई रूपरेखाएं बनती हैं लेकिन ऐसी अधिकतर योजनाएं महज लीपापोती करने तक ही सीमित होती जा रही हैं। मेलों की ऐसी गंदगी को साफ करना कुदरत के सिवाय कोई और अपनी जिम्मेदारी और कत्र्तव्य नहीं समझता है। यूं तो स्वच्छता को लेकर रैलियां, जागरूकता शिविर और कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं लेकिन ऐसे अधिकतर कार्यक्रम वास्तविकता से कोसों दूर महज फोटो सैशन तक सीमित होते जा रहे हैं।
चिंतपूर्णी मेले के अधिकतर श्रद्धालु भद्रकाली मंदिर में नतमस्तक होने के बाद ही
चिंतपूर्णी दरबार पहुंचते हैं। इसके चलते यहां भी लंगरों की भरमार रहती है। स्थानीय लोगों को तरह-तरह के लजीज व्यंजनों के स्वाद की कीमत मेला संपन्न होने के उपरांत दुर्गंध भरे वातावरण में सांस लेने के रूप में चुकानी पड़ रही है। भद्रकाली मंदिर से लेकर मुख्य सड़क तक खड्ड के किनारे बना बांध अब इस गंदगी की डंपिंग साइट बन गई है। प्रतिबंधित डिस्पोजेबल सामग्री से लेकर अन्य जूठन को कहीं ठिकाने लगाने की बजाय हर किसी ने इस बांध पर फैंककर अपने कत्र्तव्यों से इतिश्री कर ली। बताया जाता है कि भद्रकाली गांव में लगने वाले लंगर स्थानीय लोगों के घरों में ही लगाए गए थे। ऐसी लंगर संस्थाओं से किराए के रूप में मोटी कमाई तो कर ली जाती है लेकिन गंदगी को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी से विमुख होकर हर कोई इसका ठीकरा दूसरों पर ही फोडऩे में भलाई समझता है।
क्या कहती है पंचायत
भद्रकाली पंचायत प्रधान सुनीता कुमारी का कहना है कि भद्रकाली गांव मेला सैक्टर 10 के दायरे में था। किसी भी लंगर संस्था ने लंगर लगाने के लिए पंचायत से कोई अनुमति न लेकर लोगों के घरों में लंगर लगाए। लंगरों में जमकर प्रतिबंधित डिस्पोजेबल सामग्री का इस्तेमाल हुआ। प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पंचायत के पास ऐसे किसी बजट का भी प्रावधान नहीं है जिसके बलबूते पूरे क्षेत्र की सफाई करवाई जा सके।