शिमला के ऐतिहासिक रिज टैंक पर मंडराया खतरा, 2 जगहों पर पड़ीं लंबी दरारें

punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2020 - 09:17 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज टैंक पर दरारें अब बढ़ती ही जा रही हैं। आए दिन रिज टैंक के  ऊपर नई दरारें पड़ रही हैं, जिससे ब्रिटिशकालीन टैंक के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। रिज पर ठीक टैंक के ऊपर 2 जगहों पर और लंबी-लंबी दरारें पड़ गई हैं जो दिनोंदिन गहरी होती जा रही हैं। इससे टैंक पर खतरा मंडरा रहा है और इसी के चलते शिमला जल प्रबंधन व नगर निगम प्रशासन की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।

महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भी पड़ी है दरार

कुछ दिन पूर्व लक्कड़ बाजार की तरफ ठीक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भी लंबी दरार पड़ गई थी, जिस पर कंपनी ने लाल रंग पुतवा दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि दरारें कितनी बढ़ रही हैं। अब रिज टैंक के ठीक ऊपर 2 जगहों पर नई दरारें देखने को मिल रही हैं, जिससे प्रशासन की दिक्कतें बढ़ गई हैं। वहीं रिज टैंक के अंदर की दरारों को भरने का काम भी लटका हुआ है।

दरारें भरने को एक्सपर्ट्स की मदद लेगी कंपनी

एसजेपीएनएल पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपटर््स की मदद से इन दरारों को भरा जाएगा लेकिन कोरोना के चलते अभी तक काम सिरे नहीं चढ़ पाया है, जिससे काम में देरी होने के कारण अब रिज टैंक के ऊपर भी दरारें बढ़ती जा रही हैं। कंपनी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट्स के साथ-साथ आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स की भी मदद लेगी।

रिज टैंक के 9 में से 4 चैंबरों में आई हैं दरारें

रिज टैंक से एक-चौथाई शहर को जलापूर्ति होती है। यह ब्रिटिशकालीन टैंक है, जो अंग्रेजी हुकूमत के काल में बनाया गया था। इस टैंक में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है। रिज टैंक में 9 चैंबर हैं, जिनमें से 4 चैंबरों में दरारें आई हैं, जिससे रिज टैंक के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। कंपनी का कहना है कि टैंक की दरारों को सीधे तौर पर सीमैंट से नहीं भरा जा सकता है। अंग्रेजों ने टैंक पर मिट्टी की पुताई की है, जिससे इसकी मजबूती और बढ़ गई है, ऐसे में टैंक की दरारों को भरने के लिए एक्सपटर््स की मदद ली जाएगी ताकि ब्रिटिशकालीन समय में प्रयोग की गई तकनीक के जरिए ही इस टैंक की दरारों को भरा जा सके।

लंबे समय से लटका है दरारों को भरने का कार्य

पिछले कई सालों से रिज टैंक की दरारों को भरने का कार्य सिरे नहीं चढ़ पाया है, जिससे टैंक को खतरा पैदा हो गया है लेकिन अब एसजेपीएनएल ने इसकी दरारों को भरने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। टैंक की दरारों को भरने के लिए कंपनी ने 1.5 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। टैंक की मुरम्मत के दौरान इसे खाली किया जाएगा, ऐसे में शहर में पानी की सप्लाई बाधित न हो इसके लिए भी कंपनी अस्थायी तौर पर वैकल्पिक व्यवस्था करेगी ताकि सैंट्रल जोन में नियमित पानी की सप्लाई लोगों को मिल सके।


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Vijay

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