मार्कीटिंग बोर्ड में यूजर चार्जिज के नाम पर करोड़ों का घोटाला!

Tuesday, Apr 17, 2018 - 11:51 PM (IST)

शिमला: राज्य के मार्कीटिंग बोर्ड में करोड़ों के घोटाले की आशंका जताई जा रही है। बोर्ड के फैसले से प्रदेश की ए.पी.एम.सी. को करोड़ों का चूना लगा है। बीते साल 23 मार्च को बोर्ड ने शिमला, कुल्लू और मंडी जिला के सभी टोल बैरियर बंद कर दिए जबकि परवाणु बैरियर पर यूजर चार्जिज की वसूली जारी रखी गई। ये यूजर चार्जिज केवल सेब पर लिए जाते हैं। शिमला जिला के बैरियर बंद होने के बाद परवाणु बैरियर की आय में 3 से 4 गुना इजाफा होना था लेकिन परवाणु की आय बढऩा तो दूर उलटा कम हो गई। 


2017 में परवाणु बैरियर की आय में 11.03 लाख की कमी
वर्ष 2016 में जब शिमला में सभी बैरियर चल रहे थे तो उस दौरान परवाणु बैरियर की आय 59.29 लाख रुपए थी और 2017 में यह मात्र 48.26 लाख रुपए रह गई है। जाहिर है कि यूजर चार्जिज लेने में अनियमितताएं बरती गई हंै। इससे प्रदेशभर की ए.पी.एम.सी. को 11.74 करोड़ रुपए की चपत लगी है। हिमाचल में 78 फीसदी से ज्यादा सेब शिमला और किन्नौर जिला में होता है। यहां का ज्यादातर सेब परवाणु होते हुए देश की मंडियों में जाता है। इस लिहाज से परवाणु बैरियर की आय कई गुणा बढऩी थी। 


डेढ़ दर्जन टोल बैरियर बंद करने से घटी आय 
मार्कीर्टिग बोर्ड के अनुसार वर्ष 2014 में ए.पी.एम.सी. को 10.11 करोड़, 2015 में 13.41 करोड़ और 2016 में 14.15 करोड़ की आय हुई थी यानी हर साल ए.पी.एम.सी. की आय में इजाफा होता गया लेकिन बीते साल बोर्ड डेढ़ दर्जन टोल बैरियर बंद करने का फैसला लेता है और परवाणु, स्वारघाट व कंडवाल बैरियर को चालू रखता है। इससे ए.पी.एम.सी. की बैरियर से होने वाले आय 2016 के मुकाबले 2017 में 14.15 करोड़ से कम होकर मात्र 2.41 करोड़ रुपए रहती है। बता दें कि ए.पी.एम.सी. सेब पर बागवानों, लदानियों और आढ़तियों से कुल कारोबार का एक फीसदी यूजर चार्ज लेती है।


बोर्ड को इन सवालों का खोजना होगा जवाब
1. आखिर किसे लाभ देने को डेढ़ दर्जन बैरियर बंद किए?
2. शिमला के बैरियर बंद होने के बाद भी परवाणु बैरियर की आय क्यों नहीं बढ़ी?
3. क्या परवाणु में साजिश के तहत यूजर चार्जिज वसूली जारी रखी गई?
4. क्या लदानी और बागवानों से यूजर चार्जिज नहीं लिए गए?
5. यदि यूजर चार्चिज लिए गए तो पैसा कहां गया?
6. क्या बैरियर को बंद करने की बी.ओ.डी. से अनुमति ली गई थी?
7. जब बैरियर ए.पी.एम.सी. की आय का मुख्य जरिया है तो इन्हें बंद क्यों किया गया?


इसलिए कम सेब उत्पादन का तर्क नहीं दे सकता बोर्ड
प्रदेश में साल 2016 में 4.68 लाख मीट्रिक टन और 2017 में 4.46 लाख मीट्रिक टन सेब की पैदावार हुई थी। इस तरह यह भी नहीं कहा जा सकता किआय में कमी उत्पादन में गिरावट के कारण आई है।


जांच कर गलतियों का लगाएंगे पता
मार्कीटिंग बोर्ड के एम.डी. राजेंद्र वर्मा ने कहा कि ए.पी.एम.सी. को टोल बैरियर से होने वाली आय में बहुत कमी आई है। किन वजह से आय कम हुई है, इसकी जांच की जाएगी। खासकर परवाणु बैरियर की आय को जांचा जाएगा।

Vijay

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