फसल बीमा योजना के नाम पर कंपनियों को मुनाफा देकर बड़े घोटाले को दिया जा रहा अंजाम

punjabkesari.in Monday, Aug 26, 2019 - 11:38 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): सूबे में फसल बीमा योजना के नाम पर सरेआम किसानों-बागवानों से लूट की जा रही है। हिमाचल में इस योजना का फायदा कृषकों से ज्यादा बीमा कंपनियां उठा रही हैं। अकेले शिमला जिला में वर्ष 2016-17 और 2017-18 में फसलों की बीमित राशि से बीमा कंपनियों ने 54,85,03,814 रुपए कमाए हैं और कृषकों को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से नुक्सान की एवज में मात्र 16.36 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस तरह बीमा कंपनियों को इन 2 सालों में 38.50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। राज्य सरकार इस मामले को लेकर जानबूझ कर अनजान बनी हुई है। 

इस योजना के तहत बीमा कंपनियों को 50 फीसदी बीमित राशि किसान-बागवान देते हैं जबकि शेष 50 फीसदी प्रीमियम आधा-आधा केंद्र व राज्य सरकार देती हैं। इस तरह 2 सालों में शिमला जिला में कृषकों से बीमित राशि के तौर पर 28.29 करोड़ रुपए बीमा कंपनियों ने इकट्ठे किए हैं। स्टेट शेयर से 13.29 करोड़ तथा सैंटर शेयर से भी 13.29 करोड़ रुपए बीमा कंपनियों को गए। इसके बदले में वर्ष 2016-17 में 13,411 कृषकों को मात्र 11,06,29,705 रुपए तथा 2017-18 में 7,049 कृषकों को 5,28,80,142 रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए। साल 2016-17 में जिला के 39,479 तथा 2017-18 में 73,808 कृषकों ने फसल बीमा योजना को अपनाया है। ठीक इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी क्रॉप इंश्योरैंस के नाम पर किसानों को लूटा जा रहा है।

सरकार को करवानी होगी जांच

प्रदेश में क्रॉप इंश्योरैंस के नाम पर किसानों-बागवानों का शोषण किया जा रहा है। असल में होने वाले नुक्सान का किसानों को आधा पैसा भी नहीं दिया जा रहा। इसका लाभ किसान नहीं बल्कि बीमा कंपनियां उठा रही हैं। फसल बीमा योजना के नाम पर प्रदेश में एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। राज्य सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए।

क्या है फसल बीमा योजना

प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुक्सान की भरपाई के लिए केंद्र ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू कर रखी है। राज्य में इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों में बीमा कंपनियां तैनात की गई हैं। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इस स्कीम में कुछेक फसलें कवर की गई हैं जिन्हें प्राकृतिक आपदा से नुक्सान की सूरत में मुआवजा देने का प्रावधान है। प्रदेश में फसलों को सबसे ज्यादा नुक्सान ओलावृष्टि से होता है लेकिन ओलावृष्टि से होने वाला नुक्सान इसमें शामिल नहीं है। इसके लिए किसानों को अतिरिक्त प्रीमियम देना पड़ता है।



 


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Ekta

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