Himachal: मुख्यमंत्री सुक्खू सहित मंत्री व सीपीएस नहीं लेंगे 2 महीने का वेतन व भत्ते, सदन में किया ऐलान
punjabkesari.in Thursday, Aug 29, 2024 - 03:50 PM (IST)
शिमला (याेगराज): हिमाचल प्रदेश में वित्तीय स्थिति बिगड़ती जा रही है और कर्ज 90 हजार करोड़ रुपए से ऊपर चला गया है, ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कड़े फैसले लेने की बात कही है और उन्होंने खुद, मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों के साथ अगले दो महीने तक अपने वेतन और भत्ते नहीं लेने का फैसला किया है, साथ ही विधानसभा के अन्य विधायकों से भी स्वेच्छा से अपने वेतन और भत्ते छोड़कर राज्य के इस संकट में मदद का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में इसका ऐलान किया है।
जीएसटी मुआवजे के बंद होने से राजस्व में आई भारी कमी
मुख्यमंत्री ने कहा कि जून 2022 के बाद जीएसटी मुआवजे के बंद होने से भी राज्य को राजस्व में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे राज्य को सालाना लगभग 2500-3000 करोड़ रुपए का नुक्सान हो रहा है। पुरानी पैंशन योजना को बहाल करने से भी राज्य की उधार लेने की क्षमता में लगभग 2000 करोड़ रुपए की कमी आई है। राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय को कम करने के लिए प्रयास कर रही है परंतु इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा।
राज्य को 9042 करोड़ की आवश्यकता, केंद्र से नहीं मिली मदद
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि वर्ष 2023-24 में राजस्व घाटा अनुदान 8058 करोड़ था, जिसे इस वर्ष घटाकर 6258 रुपए करोड़ कर दिया गया है। यानी 1800 करोड़ रुपए की कमी आई है। अगले वर्ष (2025-26) में इस अनुदान में और 3000 करोड़ की कमी आने की आशंका है, जिससे यह घटकर केवल 3257 करोड़ रह जाएगा। सुक्खू ने आपदा के बाद की जरूरतों के आकलन का भी जिक्र किया, जिसके तहत राज्य को 9042 करोड़ की आवश्यकता है, लेकिन केंद्र सरकार से अभी तक कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। इसके अलावा राष्ट्रीय पैंशन प्रणाली के तहत लगभग 9200 करोड़ का योगदान पैंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण से मिलना बाकी है। हिमाचल के ऊपर 90 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, जिसमें 9 हजार करोड़ कर्मचारियों की देनदारियां हैं।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति कांग्रेस सरकार ने बिगाड़ी : जयराम
उधर, विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने वेतन भत्ते छोड़ने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि घोषणा में वेतन-भत्ते छोड़ने नहीं बल्कि बिलंबित करने का है निर्णय लिया गया है। बेहतर होता कि मुख्यमंत्री सीपीएस, कैबिनेट रैंक व निगमों बोर्डों में खड़ी की गई फौज को हटाकर फिजूलखर्ची को कम करते। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को खराब करने में कांग्रेस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
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