सावधान! फिर से डराने आ रहे हैं टुंडा-टुंडी राक्षस

punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2017 - 08:42 PM (IST)

कुल्लू: महाभारत काल में आतंक का पर्याय रहे टुंडा-टुंडी नामक आसुरी जोड़े के किस्से सुनने हैं तो रविवार से धारा, सोयल, बनोगी, घोठ व तांदला आदि गांवों में तशरीफ लाएं। ग्रामीण टुंडा-टुंडी के मुखौटे लगाकर नृत्य भी करेंगे। देव थिरमल नारायण को समर्पित फागली उत्सव में देव और देवलू का मिलन अचंभित करेगा। धारा गांव में रविवार को सुबह देवता थिरमल नारायण अपने देवालय से निकल कर सैंकड़ों हारियानों सहित धारा नराइडी स्थित देव स्थल में पहुंचेंगे, वहीं कुछ देर बाद देवलू देव परंपराओं का निर्वहन करने के बाद करीब 2 बजे अपने देवालय की ओर रवाना होंगे। देवालय पहुंचने के बाद करीब 4 बजे धारा सौह में देव खेल और देव भारथा होगी। इस दौरान कई श्रद्धालु अपने दुख-दरिद्र दूर करने को देवता से प्रार्थना करेंगे। 

9 दिन तक रहेगी फागली की धूम
इस बार 9 दिन तक गांव में फागली की धूम रहेगी। इस दौरान टुंडा-टुंडी नामक राक्षसी जोड़े का वृत्तांत भी सुनाया जाएगा, वहीं इलाके के दर्जनों गांवों में पिछले 15 दिनों से देवता द्वारा लगी धार्मिक व कृषि कार्यों पर रोक भी हट जाएगी। फागली उत्सव में पहले जौ के जौरे देवता को भेंट किए जाएंगे। देव थिरमल नारायण के कारदार तोत राम ने कहा कि रविवार को देवता थिरमल नारायण लाव-लश्कर के साथ अपने देवालय से निकलेंगे। उन्होंने कहा कि देवलुओं ने उत्सव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। 

ऐसे पड़ा टुंडा राक्षस का नाम
माना जाता है कि इस क्षेत्र में टुंडा राक्षस का एक हाथ नहीं होने के कारण उसे टुंडा कहा जाता था। इसके आतंक से दुखी होकर लोग देवता की शरण में गए। देवता सीधे संघर्ष जीत न सके और जुए में भी हारे। इसके बाद उन्होंने सुंदर स्त्री तिंवर छातिका (पिशाचिका) से विवाह का प्रलोभन दिया लेकिन शर्त रखी कि कुल्लू क्षेत्र छोड़ दे, जिसे टुंडा राक्षस ने मान लिया। उसके बाद सभी लोगों को टुंडा राक्षस के आतंक से छुटकारा मिल गया। 

ऐसे मनाई जाती है फागली 
जिला के कई इलाकों में मेले के दिन राक्षस और देवता में युद्ध दिखाया जाता है। राक्षस को शरीर पर जंगली घास और मुख पर मुखौटे लगाकर बनाया जाता है। देवता का प्रतिनिधित्व गूर करता है। राक्षस खेल तथा देव खेल प्रदर्शित की जाती है, जिसके अंत में देवता विजयी होते हैं। 

सबसे पहले मनाली में मनाई जाती है फागली
जिला में सबसे पहले पर्यटन नगरी मनाली में फागली उत्सव मनाया जाता है। जनश्रुति के अनुसार टुंडा राक्षस दोबारा मनाली में आ गया, जहां मनु महाराज ने शांडिल्य मुनि की सहायता से उसे समाप्त कर दिया, जिस कारण पहली फागली मनु मंदिर में होती है और अंतिम फागली शांडिल्य देवता के स्थान शीलीण में होती है। 

इन स्थानों पर होता है फागली उत्सव
जिला में फागली उत्सव मलाणा, जाणा, हलाण, रूमसू, धारा, बनोगी, सोयल, कुलंग, शांगचर व घोठ आदि कई स्थानों पर धूमधाम से मनाया जाता है। 


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