नयनादेवी-आनंदपुर साहिब रोप-वे निर्माण को मंत्रिमंडल की हरी झंडी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 05, 2018 - 09:48 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश और पंजाब के 2 प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल श्री नयनादेवी जी और आनंदपुर साहिब को रोप-वे से जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है। दोनों सरकारों के मध्य इसको लेकर हुए समझौते पर बुधवार को मंत्रिमंडल ने स्वीकृति की मोहर लगा दी है। एम.ओ.यू. पर पंजाब सरकार की तरफ से वहां के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और हिमाचल सरकार की तरफ से अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन राम सुभग सिंह ने हस्ताक्षर किए हैं। एम.ओ.यू. के अनुसार निर्माण के लिए पंजाब व हिमाचल की संयुक्त एस.पी.वी. का गठन होगा। दोनों राज्य इसमें बराबर की हिस्सेदारी देंगे। इसका निर्माण डिजाइन, बिल्ड, फाइनांस, ऑप्रेट एंड ट्रांसफर के आधार पर होगा।

पूर्व कांग्रेस सरकार ने समझौते को कर दिया था रद्द
उल्लेखनीय है कि इसको लेकर जुलाई, 2012 में दोनों राज्यों के मध्य समझौता हुआ। इसके बाद वर्ष 2013 में इसे रद्द कर दिया था तथा निर्णय लिया कि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर इसका निर्माण करेगी। इसके लिए पूर्व सरकार में एल.ओ.आई. भी मंगवाई गई थी परंतु इसके लिए विभाग में कोई भी निविदा प्राप्त नहीं हुई थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस समझौता ज्ञापन को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। समझौते के अनुसार लोअर टर्मिनल आनंदपुर साहिब के समीप रामपुर, इंटरमीडिएट टर्मिनल टोबा व अप्पर टर्मिनल नयनादेवी में होंगे। दोनों प्रदेश सरकारों की तरफ से इस परियोजना के निर्माण के लिए एक ज्वाइंट बैंचर एस.पी.वी. का गठन होगा। इसका नाम श्री नयनादेवी जी और श्री आनंदपुर साहिब जी रज्जू मार्ग कम्पनी निजी सीमित होगा।

शिमला में होगा एस.पी.वी. का पंजीकृत कार्यालय
एस.पी.वी. का पंजीकृत कार्यालय शिमला में होगा। एस.पी.वी. में दोनों सरकारों की समान भागीदारी होगी, जिसकी शुरूआती पूंजी 1 करोड़ रुपए होगी, जिसके लिए दोनों राज्य सरकारें क्रमश: 50-50 लाख रुपए देंगी। एस.पी.वी. के निदेशक मंडल में 10 निदेशक होंगे तथा दोनों राज्य सरकारें 5-5 निदेशक मनोनीत करेंगी। परियोजना के पर्यवेक्षण, निगरानी व प्रचालन के लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति का गठन किया जाएगा।

समिति में इन्हें मिलेगा स्थान
समिति में दोनों सरकारों के मुख्य सचिव के अलावा सचिव पर्यटन, सचिव लोक निर्माण विभाग, सचिव वित्त व निदेशक पर्यटन सदस्य होंगे। दोनों राज्यों के निदेशक पर्यटन की अध्यक्षता में क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाएगा। परियोजना के लिए करीब 70 फीसदी भूमि हिमाचल सरकार की तरफ से तथा 30 फीसदी भूमि पंजाब सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाई जानी है। साथ ही अर्जित राजस्व दोनों प्रदेशों में 50:50 आधार पर बांटा जाएगा।


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Vijay

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