Himachal: प्रतिवर्ष डूबने से हो रहीं औसतन 500 मौतें, सबसे अधिक कांगड़ा व मंडी जिलों में हुईं मौतें
punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2024 - 10:32 PM (IST)
शिमला (संतोष): हिमाचल में प्रतिवर्ष डूबने से औसतन 500 मौतें होती हैं और इन्हें रोकने व डूबने वाले हॉटस्पॉट की निगरानी करना जरूरी है जिसके लिए एक एसओपी तैयार की गई है। यह बात डीजीपी डाॅ. अतुल वर्मा ने पुलिस मुख्यालय शिमला में सोमवार को आयोजित प्रैस वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि एसओपी के तहत सटीक डाटा संग्रह और घटनाओं का मानचित्रण, एजैंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय, डूबने की घटनाओं पर तत्काल प्रतिक्रिया, बचाव और पुनप्र्राप्ति अभियान शामिल हैं। ऐसी घटनाओं में डीडीएमए, पुलिस/स्वास्थ्य विभाग की भूमिका और जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है।
हालांकि लोगों को खतरनाक पानी में जाने से रोकने के लिए कुछ कर्मियों की नियमित उपस्थिति की आवश्यकता की पहचान की गई, इसलिए इन हॉटस्पॉट वाले पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है, जो लाइफ गार्ड के रूप में काम करेंगे। लाइफ गार्ड के रूप में ये होम गार्ड हिमाचल प्रदेश में डूबने की पहचान किए गए हॉटस्पॉट पर सुरक्षा की अग्रिम पंक्ति में होंगे। डूबने की घटनाओं को रोकने और जल निकायों के आसपास व्यवस्था बनाए रखने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। होमगार्ड मुख्य रूप से निगरानी और निगरानी संलग्नता के माध्यम से रोकथाम आपातकालीन प्रतिक्रिया उपकरण हैंडलिंग और रखरखाव समन्वय और रिपोर्टिंग प्रत्येक लाइफ गार्ड को आवश्यक जीवन रक्षक उपकरणों से लैस किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 2006 से 2010 के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि राज्य में डूबने से 514 मौतें हुईं जिनमें 75 फीसदी आकस्मिक और 16 प्रतिशत आत्महत्या थी। डूबने की अधिकांश घटनाएं गर्मियों में 34 फीसदी और मानसून के दौरान 31 फीसदी मौतें हुई हैं जिसमें कांगड़ा और मंडी जिलों में सबसे अधिक घटनाएं हुईं। डूबने के कारण कीमती जानों के नुक्सान को रोकने के लिए 26 ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की गई और यह निर्णय लिया गया कि इन हॉटस्पॉट की निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को जल निकायों के पास जाने से रोका जा सके और वे जल निकायों के पास असुरक्षित तैराकी गतिविधियों में शामिल न हों।
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