सेब की इस किस्म ने तोड़ा रिकॉर्ड, हिमाचली बागवानों को मिल रहे मुंहमांगे दाम
punjabkesari.in Wednesday, Aug 09, 2017 - 01:25 PM (IST)

शिमला: हिमाचल के बागवानों के लिए जेरोमाइन किस्म के सेब सचमुच वरदान साबित हो रहे हैं। इस किस्म के सेब ने इस सीजन में बिकने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बागवान इस सेब से खूब मुंहमांगे दाम कमा रहे हैं। दरअसल इटली से मंगवाए गए एमएम 109 रूट स्टॉक जिसे एम 9 भी कहते हैं, इस सेब की दो लेयर का एक छोटा बाक्स 1500 रुपए में बेचा गया। अगर इसका हिसाब 28 किलो के बक्से से लगाया जाए तो यह सेब 3750 रुपए में बिका है।
जेरोमाइन किस्म सचमुच बागवानों के लिए बनी वरदान
आमतौर पर बागवान 28 किलो के बड़े बक्से में ही सेब बेचते हैं। मंगलवार को शिमला जिले के एक बागवान ठियोग की स्थानीय मंडी में ही दिल्ली से आए एक आढ़ती के माध्यम से इस सेब की 310 पेटियां बेचीं। इस सेब से उसने खूब चांदी कूटी। इतना ही नहीं ये पेटी 1500 रुपए प्रति के हिसाब से बिकीं। माना जा रहा है कि इतनी ऊंची कीमत पर राज्य में सेब इस सीजन में नहीं बिका है। इससे एक बात साफ हो गई है कि निचले क्षेत्रों के बागवानों के लिए जेरोमाइन किस्म सचमुच वरदान बनकर आ गई है।
साल भर बगीचे में करते हैं रखवाली
बागवान ने बताया कि वे अन्य कई बागवानों की तरह मालरोड शिमला में नहीं घूमते। वे साल भर सेब के बगीचों में उसकी रखवाली करते हैं। समय पर खाद, पानी, उर्वरकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों को डालते हैं। अच्छा रिजल्ट लाने के लिए थोड़ी सिंचाई भी जरूरी है। उन्होंने लार्ज, मीडियम, स्माल, एक्स्ट्रा स्माल सेब की ठीक से ग्रेडिंग की, उसी के बाद उसे मार्केट में उतारा। इस सेब का एक सा आकार, एक बराबर लाल रंग और स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है। तभी इसकी इतनी डिमांड है। यह विदेशों से आयातित सेब से धीमी पड़ने वाली सेब मार्केट को टक्कर दे सकता है।
इस किस्म को लगाने से बागवानों को होगा मुनाफा
प्रधान सचिव बागवानी का कहना है कि जेरोमाइन किस्म ही ऐसी है कि इसके दो लेयर का बॉक्स 1500 रुपए में अगर बिक रहा है तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। इस सेब की खासियत यह है कि ये लंबोतरा होता है। ये अर्ली वैराइटी है। यानी, जब मार्केट में सेब नहीं होता तो ये पहुंच जाता है। सरकार ने हाल ही में इसी सेब को विदेशों से आयात किया है। बताया जाता है कि कई लोग इसी किस्म पर विवाद खड़ा कर रहे हैं, जबकि ये हिमाचल के बागवानों की आर्थिकी में सुधार ला सकता है।