Himachal: लाहौल-स्पीति का ये गांव है वीरों का, देश की सरहद पर 38 जवान संभाले हैं मोर्चा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2024 - 12:21 PM (IST)

कुल्लू (गौरीशंकर): हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के हिंसा गांव के युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। यही कारण है कि इस गांव से देश की सरहद पर 38 जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं। गांव की मिट्टी में ही देश सेवा की महक आ रही है, जिसके चलते स्कूल स्तर से ही बच्चों में खेलकूद के प्रति अधिक रुचि देखी जा रही है और युवा होकर भारतीय सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं।  यही कारण है कि वर्तमान में 38 जवान सरहद पर तैनात हैं और 12 जवान देश की सेवा पूरी कर अपने गांव लौट चुके हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो हिंसा गांव में करीब 72 परिवार है जिनके घर से 38 युवा वर्तमान में सेना में मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं और 12  सेना से सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। जिनमें तीन जीवन के पड़ाव पूरा कर दुनिया से रुखस्त हो चुके हैं। सेना के साथ-साथ गांव के 2 जवान आईटीबीपी और 2 एसएसबी में भी सेवाएं दे रहे हैं।

गांव से सूर चंद लारजे पहले सैनिक 
स्थानीय निवासी जय किशन कहते हैं कि हमारे गांव से सूर चंद लारजे सबसे पहले सैनिक बने थे उसके बाद गांव के दूसरे युवाओं के लिए वह प्रेरणा स्त्रोत बने थे और उसके बाद गांव से युवा सेना में भर्ती होने के लिए आगे आते गए और आज जिला का यह पहला गांव हैं जहां से सबसे अधिक सैनिक देश सेवा कर रहे हैं।

गांव के ये युवा हैं सेना में तैनात
हिंसा गांव के धर्म चंद, कर्म चंद, विकास, जितेंद्र, दिनेश, अजय, सुरेश, मनोज, मनीष, संदीप, इकु, अमर, वीर, सुनील, अशोक, अभिजीत, यश, कमलेश, मिंटू, यश, वीर सिंह, सुशील, प्रकाश, विक्की, सुदर्शन, सूरज, राहुल, प्रताप, दीवान, संजीत, सुभाष, विकास, अभिशेख, सूरज, सचिन, राहुल, आशीष, नितिन आदि जो वर्तमान में सेना में अपनी सेवाएं सरहदों पर दे रहे हैं। 

ये पूरी कर चुके हैं सेवाएं
हिंसा गांव सूर चंद, नीरता राम, वीर चंद, भीम दत, मान चंद, कुंज लाल, मोहन, राम सिंह, पूरम चंद, भगत सिंह, पृथी चंद और राम भगत सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से सूर चंद, नीरता राम और बीर चंद जीवन का पड़ाव पूरा कर दुनिया से रुखस्त हो चुके हैं।

इस बार 8 जवान एक साथ बने अग्निवीर
हिंसा गांव से ताल्लुख रखने वाले 8 युवा अप्रैल, 2024 में एक साथ अग्निवीर बने और देश सेवा के लिए सरहदों के लिए गांव से निकले हैं। खास बात यह है कि गांव के 2-3 युवा इकलौते बेटे भी सेना में भर्ती हुए हैं और कुछ दो भाई दोनों ही भारतीय सेना में देश सेवा कर रहे हैं।

लोग बोले-पैदल ज्यादा चलते हैं गांववासी
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हिंसा गांव के राम लाल ठाकुर का कहना है कि यहां के बच्चे स्कूली स्तर से ही खेलों में बहुत रुचि दिखाते हैं, साथ ही क्षेत्र में गाड़ियों से कम सफर करते हैं और पैदल ज्यादा चलते हैं, जिस कारण यहां का युवा शारीरिक रूप से पूरी तरह से फिट है और यही कारण है कि युवा सेना में भर्ती अधिक हो रहे हैं और देश सेवा कर रहे हैं।
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Content Writer

Vijay

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