चौंकाने वाला खुलासा: हिमाचल में तेजी से फैल रही ये गंभीर बीमारी, जानिए क्या है कारण?
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 03:53 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के रामपुर, किन्नौर और कुल्लू ज़िलों के गांवों में एक नई तरह की त्वचा की बीमारी तेज़ी से फैल रही है, जिसका नाम कटेनेयस लीशमैनियासिस (सीएल) है। यह बीमारी सैंडफ्लाई (बालू मक्खी) के काटने से होती है। पहले यह रोग राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे गर्म और शुष्क इलाकों तक सीमित था, लेकिन अब यह पहाड़ों में भी अपने पैर पसार रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारण है।
शोध से हुआ खुलासा
यह चौंकाने वाला खुलासा हाल ही में किए गए एक विस्तृत शोध में हुआ है। इस शोध को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला और रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) डिब्रूगढ़ ने मिलकर अंजाम दिया है। शोधकर्ताओं ने रामपुर, नित्थर और निरमंड ब्लॉक के 20 गांवों का गहन अध्ययन किया। हर गांव में 15 से 20 घरों की जांच की गई, जिसमें से 11 गांवों में सैंडफ्लाई की मौजूदगी पाई गई, जो इस बीमारी को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं।
कुल 332 सैंडफ्लाई पकड़ी गईं, जिनमें वे प्रजातियां शामिल थीं जो बीमारियों को फैलाती हैं। ये मक्खियां मुख्य रूप से उन मवेशियों के बाड़ों में मिलीं, जो घरों के पास ईंट और मिट्टी से बने थे। शोध में यह भी सामने आया कि जून से अगस्त के महीनों के बीच जब तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है और नमी 60% से बढ़कर 90% तक पहुंच जाती है, तो इस बीमारी के सबसे ज़्यादा मरीज सामने आए। इसका सीधा मतलब है कि सीएल गर्मी और नमी के मौसम में सबसे ज़्यादा फैलता है।
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पहाड़ों पर बदलता मौसम और सीएल का बढ़ता खतरा
त्वचा रोग विशेषज्ञ और शोधकर्ता डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि उनकी टीम ने पिछले दो सालों में 50 से ज़्यादा मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह बीमारी अब उन ऊंचाई वाले ठंडे इलाकों में भी दिख रही है, जहां पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बदलता मौसम है।
पर्यावरण विज्ञानी डॉ. रीमा ठाकुर ने इस बात की पुष्टि की कि पहाड़ों का औसत तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई है। तापमान में इस वृद्धि के कारण सैंडफ्लाई जैसी मक्खियां अब ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पनपने लगी हैं, जिससे इन इलाकों में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
क्या है कटेनेयस लीशमैनियासिस (सीएल)?
कटेनेयस लीशमैनियासिस एक त्वचा संबंधी रोग है जो सैंडफ्लाई (बालू मक्खी) नामक एक बहुत ही छोटी मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी अपने शरीर में लीशमैनिया नामक एक परजीवी को लेकर चलती है। जब यह सैंडफ्लाई किसी इंसान को काटती है, तो यह परजीवी उसकी त्वचा में प्रवेश कर जाता है, और वहीं पर बीमारी की शुरुआत होती है।
शुरुआत में, काटने वाली जगह पर एक छोटी सी फुंसी या दाना निकलता है। यह दाना धीरे-धीरे बड़ा होकर एक खुले घाव में बदल जाता है। आमतौर पर, यह घाव दर्दनाक नहीं होता, लेकिन यह बहुत लंबे समय तक ठीक नहीं होता और मरीज को इसमें लगातार खुजली महसूस होती है। खुले घाव के कारण द्वितीयक संक्रमण (secondary infection) का खतरा भी बढ़ जाता है। यह बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में सीधे नहीं फैलती है, लेकिन अगर किसी इलाके में सैंडफ्लाई की संख्या बहुत ज़्यादा हो और वे कई लोगों को काटें, तो कई लोगों को एक साथ यह बीमारी हो सकती है।