शहीद सुधीर वालिया के परिजनों ने प्रशासन को लौटाए मैडल, जानिए क्या है वजह
punjabkesari.in Wednesday, Aug 07, 2019 - 09:32 PM (IST)

पालमपुर (प्रवीण): शहीद मेजर सुधीर वालिया को सम्मान न मिलने तथा आग्रह करने के बावजूद किसी प्रकार की कोई प्रतिमा स्थापित न करने पर बिफरे शहीद के परिजनों ने पालमपुर में एस.डी.एम. पंकज शर्मा से मुलाकात की। इस दौरान उनके परिजन इतने भावुक हो गए कि उन्होंने वे मैडल, जो शहीद को उनकी बहादुरी पर मिले थे, एस.डी.एम. को लौटा दिए। परिजनों का आरोप है कि मेजर सुधीर वालिया को 20 साल शहीद हुए हो चुके हैं लेकिन उन्हें किसी भी कार्यक्रम में न तो आमंत्रित किया जाता है और न ही उन्हें वह सम्मान प्रशासन द्वारा दिया जाता है जो एक शहीद के परिवार को मिलना चाहिए।
बुजुर्ग होने के कारण द्रास नहीं जा सकते परिजन
उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा कारगिल दिवस तथा अन्य शहीद दिवस के अवसर पर भी उनकी अनदेखी की जाती है जबकि द्रास से उन्हें हर बार आने के लिए आमंत्रित किया जाता है लेकिन बुजुर्ग होने के कारण उनका वहां पर जाना नहीं हो पाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य शहीद के परिजनों को जो प्रशासन द्वारा समय-समय पर सम्मान दिया जाता है, उसमें उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।
आज दिन तक नहीं लगाई गई शहीद की प्रतिमा
शहीद के परिजनों का कहना है कि काफी समय पहले उन्होंने शहीद सुधीर वालिया की प्रतिमा लगाने की सिफारिश की थी तथा इस विषय पर प्रतिवेदन भी प्रशासन के समक्ष किया गया था लेकिन आज तक प्रतिमा लगना तो दूर उस विषय पर कभी भी शहीद के परिजनों को विश्वास में नहीं लिया गया और न ही उन्हें इस विषय में क्या कार्य हुआ है, इसकी प्रोगै्रस बताई गई।
एस.डी.एम. ने आग्रह कर वापस किए मैडल
इस दौरान एस.डी.एम. पंकज शर्मा ने बहुत आग्रह के बाद उन्हें उनके मैडल इज्जत के साथ वापस किए तथा कहा कि यह इस क्षेत्र का गौरव है तथा जो भी ठेस उनके परिवार को लगी है, उसके लिए उन्होंने प्रशासन की ओर से परिजनों से गलती सुधारने की बात कही। इस दौरान शहीद के पिता रूलिया राम वालिया, बहन आशा वालिया, भाभी सिमरन वालिया, जीजा प्रवीण आहलुवालिया, राजीव जंवाल, कमल सूद, पंचायत प्रधान अजय शर्मा तथा प्रीतम कुमार उपस्थित रहे।
कौन थे मेजर सुधीर वालिया
मेजर सुधीर वालिया कारगिल के युद्ध में भी अपना शौर्य दिखा चुके थे तथा उनके साथियों ने उनको बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था। वह 29 अगस्त, 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे। 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मैडल प्राप्त किए थे। श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था। पेंटागन में 70 देशों के प्रतिनिधि गए थे, उसमें भारत की ओर से उन्होंने टॉप किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने 2 बार लगातार सेना मैडल प्राप्त किया था।
क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि पूर्व में यह कार्य क्यों नहीं हो सका, मुझे इस बात की जानकारी नहीं है लेकिन एक शहीद को सम्मान मिलना चाहिए तथा अगर उनके परिजन इस प्रकार की कोई चाहत रखते हैं तो इस विषय पर बात की जाएगी। जो भी संभव होगा, कार्य किया जाएगा।
सरकार के समक्ष उठाया जाएगा मामला : एस.डी.एम.
एस.डी.एम. पालमपुर पंकज शर्मा ने बताय कि इस विषय को लेकर शहीद के परिजन उनके कार्यालय में आए थे तथा उनकी मांग प्रतिमा को लगाने की थी। इस विषय को सरकार के समक्ष उठाया जाएगा तथा शहीद परिवारों का मान-सम्मान बना रहे, इसके लिए कार्य किया जाएगा।