किसके दबाव में सीबीआई को नहीं सौंपी जा रही है डिग्री फर्जीवाड़े की जांच : राणा

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 05:53 PM (IST)

हमीरपुर : 6 लाख फर्जी डिग्रियां बेचने वाली मानव भारती यूनिवर्सिटी का मामला अब कांग्रेस विधानसभा में उठाया जाएगा। यह जानकारी प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में दी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाली निजी यूनिवर्सिटियों को खोलने का क्रम बीजेपी के राज में शुरू हुआ था और अब यह सिलसिला फिर बीजेपी के राज में पहुंच कर सुर्खियां बटोर रहा है। लेकिन अभी भी मानव भारती विश्वविद्यालय की मान्यता व बीजेपी के राज में विधानसभा में दी गई अप्रूव्ल जारी है, जो कि स्पष्ट संदेश है कि सरकार करोड़ों रुपए के यूनिवर्सिटी के घोटाले पर कोई भी कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। सरकार पर इस मामले में अपने कुछ लोगों को बचाने के आरोप लग चुके हैं। सरकार की खामोशी आरोपों को पुख्ता कर रही है। 

उन्होंने कहा कि डिग्रियों के इस फर्जीवाड़े के कारण अब कोविड काल में हिमाचल प्रदेश से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में हजारों लोगों की नौकरियों पर संकट बन आया है। क्योंकि यह तमाम लोग डिग्रियों का फर्जीवाड़ा करने वाली मानव भारती यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र हैं। जिन्हें डिग्रियों के फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद तमाम सरकार व गैर-सरकार इम्प्लॉयर ने नोटिस जारी किए हैं कि जिन लोगों ने मानव भारती यूनिवर्सिटी से कोर्स की डिग्री ली है, वह फर्जी है। इसलिए उन्हें नौकरी से निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि दूसरे शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले युवाओं को भी वहां के संस्थानों ने मानव भारती यूनिवर्सिटी की डिग्री को वेरीफाई करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा भी इस मामले के उजागर होने के बाद भारी परेशानी में हैं। उनको अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है। हालांकि हरियाणा की एक महिला की शिकायत पर इस मामले में जांच शुरू हुई है। जिसमें अभी तक करीब 5 लाख से ज्यादा डिग्रियां जांच की जद में आई हैं। 

जांच की जद से बचने की तिकड़मों में मानव भारती यूनिवर्सिटी व उसके सहयोगी संस्थानों व उसके ट्रस्ट के ट्रस्टियों की हरकतों की वजह से अब इन युवाओं पर नाहक ही कार्रवाई की तलवार भी लटक चुकी है। इसी कड़ी में हिमाचल के हजारों युवकों पर भी तलवार लटकी है। उन्होंने कहा कि चंबा के दुबई में नौकरी करने वाले युवा जिसकी डिग्रियों को जिला प्रशासन सहित अन्य कई एजेंसियों ने प्रमाणित किया है। लेकिन अब मानव भारती विश्वविद्यालय का फर्जी डिग्री स्कैम सामने आने के बाद दुबई में कंपनी ने फिर से उसकी डिग्रियों को प्रमाणित करवाने का नोटिस थमा दिया है। कोविड के कारण डिग्रियां प्रमाणित न करवाए जाने पर उसे नौकरी से निकालने का फरमान जारी हुआ है। इसी यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके कंपन्सेंटरी ग्राउंड पर एक युवक ने केंद्र में नौकरी के लिए आवेदन किया था, जहां नौकरी के लिए उसको सिलेक्ट कर लिया गया। लेकिन अब केंद्रीय एजेंसी ने फर्जी डिग्री विवाद के चलते इस युवक को नोटिस दिया है कि उसके दस्तावेजों की फिर से जांच होगी और अगर दस्तावेज जाली पाए जाते हैं तो कानूनी कार्रवाई भी होगी। 

उन्होंने कहा कि अब असली सवाल यह है कि इन लोगों का क्या कसूर है और इस कसूर के असली कसूरवार कौन हैं? सरकार स्पष्ट करे। सरकार जनता को यह भी बताए कि जब बीजेपी के राज में यह निजी यूनिवर्सिटियां धड़ाधड़ दुकानों की तरह खुल रही थी, तब सरकार और सिस्टम ने जनता के हितों व भविष्य को ध्यान में क्यों नहीं रखा और अगर ध्यान में रखा था तो अब यह लोग किसी के कसूर की सजा नाहक क्यों भुगत रहे हैं। सरकार को इसका जवाब देना ही होगा। क्योंकि इस सारे फर्जी वाड़े की जिम्मेदारी व जवाबदेही सरकार की ही है। सरकार यह भी बताए कि लाखों रुपए शिक्षा के नाम पर फूंक कर डिग्रियां हासिल करने वाले अब यह लाखों युवक करें तो क्या करें। एक मानव भारती यूनिवर्सिटी ही नहीं बीजेपी के राज में दुकानों की तरह खुली तमाम यूनिवर्सिटियां अब शक और संदेह के घेरे में है। मानव भारती यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े का मामला ईडी व सीबीआई की जांच का बनता है। लेकिन सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंपने की बजाय मूक दर्शक बनी हुई है जिससे सपष्ट है कि सरकार की मंशा में जरूर कोई खोट है। सरकार इस मामले में दोषियों को बचाने के आरोपों के घेरे में है।
 


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prashant sharma

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