हिमाचल का यह गांव देशभक्ति और बलिदान की एक अनूठी मिसाल, सीमा पर तैनात हैं 38 जवान
punjabkesari.in Tuesday, May 13, 2025 - 02:16 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में बसा छोटा सा गांव हिंसा, सही मायने में वीर जवानों की धरती कहलाता है। इस गांव की मिट्टी में देश सेवा का ऐसा जज्बा है कि यहां के बच्चे बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना देखते हैं। महज 72 परिवारों वाले इस गांव से वर्तमान में 38 युवा भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि 12 पूर्व सैनिक देश के लिए अपना योगदान दे चुके हैं। इसके अतिरिक्त, दो जवान भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और दो सशस्त्र सीमा बल (SSB) में भी कार्यरत हैं।
यह गर्व की बात है कि अप्रैल 2024 में इस छोटे से गांव से एक साथ आठ युवाओं ने अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लिया। इनमें से कुछ युवा अपने परिवार के इकलौते बेटे हैं, तो कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिनके दो-दो बेटे भारत माता की रक्षा के लिए समर्पित हैं।
भौगोलिक रूप से दुर्गम क्षेत्र होने के कारण लाहौल घाटी के युवाओं के पास सेना में भर्ती होने या खेलकूद में आगे बढ़ने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण संस्थान या अकादमी उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद, हिंसा गांव के बच्चों ने अपनी लगन और मेहनत से स्कूली स्तर से ही खुद को भारतीय सेना के लिए तैयार किया है। उनकी शारीरिक क्षमता और देशप्रेम की भावना उन्हें स्वाभाविक रूप से सेना की ओर आकर्षित करती है।
हालांकि आसपास के अन्य गांवों से भी कुछ युवा सेना में कार्यरत हैं, लेकिन हिंसा गांव का अनुपात सबसे अधिक है। सेना से सेवानिवृत्त लोग बताते हैं कि इस गांव के बच्चे बचपन से ही खेलों में गहरी रुचि रखते हैं, जो उन्हें शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है और सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता है।
वह बताते है कि उनके गांव से सबसे पहले सूर चंद लारजे सेना में भर्ती हुए थे, जो अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने। वर्तमान में जो 38 जवान सीमा पर तैनात हैं, उनमें से लगभग आठ अग्निवीर हैं। इनमें से 23 जवान इस समय जम्मू-कश्मीर की संवेदनशील सीमा पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। यह छोटा सा गांव हिंसा वास्तव में देशभक्ति और बलिदान की एक अनूठी मिसाल है, जहां हर युवा देश सेवा के जज्बे से ओतप्रोत है।