राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल मरीजों के लिए बना सिरदर्द, बाहर करवाने पड़ रहे टैस्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 05:00 PM (IST)

शिमला, (संतोष): कहने को राज्य का सबसे बड़ा आई.जी.एम.सी. अस्पताल, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां पर मरीजों के टैस्ट तक नहीं हो पा रहे हैं। अस्पताल में एच.बी.1 ए.सी., विटामिन बी-12, डेंगू, स्क्रब टायफस आदि के टैस्ट हो ही नहीं रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को निजी लैबोरेट्रीज में भटकना पड़ रहा है, जिससे उनके समय और पैसों की बर्बादी हो रही है।

बताया जाता है कि अस्पताल में टैस्ट किटें न होने के कारण मरीजों- के यह टैस्ट नहीं हो पा रहे हैं। इससे मरीजों को टैस्ट करवाने के लिए भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। आई.जी.एम.सी. में न केवल जिला शिमला के, अपितु समूचे राज्य के कोने-कोने से मरीज यहां उपचार करवाने के लिए आते हैं।

ऐसे में खासतौर पर दूरदराज से आने वाले मरीजों को टैस्ट करवाने के लिए निजी लैबोरेट्रीज में जाकर यहीं पर रुकना पड़ता है, क्योंकि जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी, डाक्टर उसके बाद ही उन्हें दवा लिखते हैं। मरीजों की दिनचर्या सुबह पर्ची बनाने से शुरू होती है और जब ओ.पी. डी. में नंबर आता है तो डाक्टर उन्हें टैस्ट के लिए लिख देते हैं और ऐसे में उन्हें निजी लैबोरेट्रीज में जाकर टैस्ट करवाने पड़ते हैं और फिर अगले दिन अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां पर उस यूनिट के डाक्टर नहीं मिलते, जो तीसरे दिन जाकर मिलते हैं। ऐसे में मरीजों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

आई.जी.एम.सी. शिमला में प्रतिदिन औसतन 3200 से 3500 की ओ.पी.डी. होती है और करीब 1100 मरीज उपचाराधीन होते हैं, जिनमें से कई मरीजों के माइनर व मेजर ऑप्रेशन भी होते हैं। ऐसे में उन्हें डाक्टर टैस्ट लिख देते हैं और टैस्ट किटों के अभाव में अस्पताल में यह टैस्ट ही नहीं हो पा रहे हैं।

बता दें कि आजकल मानसून की बारिश का दौर है और इन दिनों जलजनित रोग भी बढ़ जाते हैं। पिछले वर्ष रामपुर इलाके में डेंगू फैला था और इस वर्ष डेंगू के यहां टैस्ट ही नहीं हो रहे हैं। शिमला जन विकास मंच के अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने कहा कि आई.जी.एम.सी. जैसे राज्य के बड़े स्वास्थ्य संस्थान में मरीजों के जरूरी टैस्ट न होना चिंताजनक है, जिसके लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग को जल्द ही यहां टैस्ट किटें उपलब्ध करवानी चाहिए।


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Content Editor

Jyoti M

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