करोड़ों के घाटे में चल रही MC की सैहब सोसायटी, Salary देने तक को पैसे नहीं

Sunday, Jun 09, 2019 - 04:50 PM (IST)

शिमला (वंदना): राजधानी शिमला की सफाई व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही सैहब सोसायटी कूड़े की फीस कलैक्शन नहीं करने के कारण करोड़ों रुपए के घाटे में चली गई है। कूड़े से प्रर्याप्त पैसा वसूल नहीं होने के कारण अब आलम ये हो गया है कि सोसायटी का खर्चा अधिक हो गया है और कमाई बहुत कम, ऐसे में नगर निगम को हर महीने लाखों रुपए का घाटा वहन करना पड़ रहा है, जिससे नगर निगम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालात यह हो गए है कि नगर निगम के एम.सी फंड से एक साल में सोसायटी पर करीबन 8 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। सैहब कर्मचारियों को वेतन सहित ई.पी.एफ., ई.एस.आई. का भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे निगम की वित्तीय स्थिति हर महीने बिगड़ती जा रही है।  

सैहब सोसायटी के तहत हर महीने कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य देनदारियों पर करीबन 90 लाख रुपए खर्च आता है, जबकि कूड़े की फीस से नगर निगम को महज हर महीने 30 से 35 लाख रुपए की वसूली ही हो रही है, जिससे सैहब सोसायटी को चलाना नगर निगम प्रशासन के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन गया है। नगर निगम को हर महीने कूड़े की फीस से करीबन 42 से 45 लाख रुपए की वसूली होती थी, लेकिन पिछले साल फरवरी में एम.सी. ने शहर में कूड़े की नए रेट लागू किए थे जिसके तहत एम.सी को कूड़े से हर महीने 50 से 65 लाख रुपए की आमदनी होने की उम्मीद थी, लेकिन रेट बढ़ाने के बाद से एम.सी की कलैक्शन का ग्राफ हर महीने गिरता आ रहा है। पिछले एक साल से सोसायटी करोड़ों रुपए के घाटे में चली गई है। 

एम.सी को हर महीने कूड़े से महज 30 से 35 लाख रुपए की वसूली ही हो रही है, ऐसे में रेट बढऩे के बाद भी निगम को प्रस्तावित आमदनी नहीं हो रही है, ऐसे में निगम को हर महीने 25 से 30 लाख रुपए का घाटा हो रहा है, जबकि इसे गत वर्ष निगम ने सैहब कर्मचारियों के वेतन में बढ़ौतरी भी की थी अब दोबारा से जून माह से कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि प्रस्तावित है, लेकिन एम.सी के पास कर्मचारियों के  वेतन देने तक को पैसे नहीं है, ऐसे में सैहब कर्मचारियों के वेतन बढ़ौत्तरी करना प्रशासन के लिए बेहद मुश्किल हो गया है। आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम को प्रदेश सरकार ओर से कोई अतिरिक्त ग्रांट भी नहीं मिल रही है, जिससे सैहब सोसायटी का चलाया जा सकता ऐसे में बिगड़ती स्थिति के बीच अब नगर निगम प्रशासन ने भी हाथ खड़े कर दिए है।   

सैहब सोसायटी में विभिन्न पदों पर है 850 से अधिक कर्मचारी

नगर निगम की सैहब सोसायटी में सफाई कर्मचारी से लेकर गारबैज कलैक्टर, ड्राईवर, सुपरवाईजर इत्यादि को मिलाकर करीबन 850 कर्मचारी है जो निगम में सोसायटी के जरिये कार्य कर रहे है। शहर में सफाई व्यवस्था का जिम्मा सैहब कर्मचारियों पर हैं। सैहब कर्मचारी इससे पूर्व अपनी मांगों को लेकर 35  दिनों तक हड़ताल कर चूके है जिससे शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई थी।

एम.सी फंड से किया ई.पी.एफ व ई.एस.आई का भुगतान 

सैहब सोसायटी के लगातार घाटे में चलने से नगर निगम के पास अब हर महीने सैहब कर्मचारियों को वेतन सहित ई.पी.एफ व ई.एस.आई का भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में सैहब कर्मचारियों को समय पर ई.पी.एफ व ई.एस.आई का भुगतान नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते ई.पी.एफ विभाग द्वारा नगर निगम को नोटिस जारी किया गया है। सैहब कर्मचारियों के मार्च व अप्रैल माह के ई.पी.एफ  रकम 26 लाख 11 हजार 575 रुपए खर्च आया है, जबकि हर महीने ई.एस.आई का चालान 3.5 लाख रुपए है निगम की ओर से ई.एस.आई विभाग को 10 लाख रुपए राशि का भुगतान किया जाना  है। ई.पी.एफ व ई.एस. आई का भुगतान करने के लिए  कुल राशि 36 लाख 11 हजार 575 रुपए  एम.सी फंड से दिए गए है।

हर महीने ये हो रही कूड़े से वसूली

सैहब सोसायटी पिछले एक साल से लगातार घाटे में चल रही है। हर महीने कलैक्शन का ग्राफ गिरता जा रहा है, जिससे निगम कंगाल होता जा रहा है। गत अक्तूबर माह में कूड़े से 41 लाख रुपए की वसूली हुई थी इसके बाद नवम्बर माह में 38 लाख, दिसम्बर में 33 लाख और जनवरी में महज 27 लाख रुपए की वसूली ही नगर निगम कर पाया है। इसके अलावा मार्च महीने में कूड़े से  37 लाख 45 हजार 499 रुपए हुई, जबकि अप्रैल माह में कलैक्शन 33 लाख 78 हजार 959 रुपए की कमाई पर ही सिमट गई है। इससे निगम को वित्तिय नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कलैक्शन बढ़ाने को एम.सी ने तैयार की है योजना

नगर निगम प्रशासन की ओर से डोर टू डोर गारबेज कलैक्शन को बढ़ाने व आम जनता से रिकवरी करने के लिए कूड़े का बिल प्रापर्टी टैक्स के साथ जारी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। जिसका मेयर व कुछेक पार्षद विरोध कर रहे है, जबकि सैहब सोसायटी इस व्यवस्था को शुरू करने की मांग कर रही है। प्रशासन का का दावा है कि यदि इस व्यवस्था को शुरू किया जाएगा तो कलैक्शन को बढ़ाया जा सकेगा और सैहब सोसायटी को घाटे से बाहर निकाला जा सकेगा, लेकिन इस योजना को लेकर घमासान शुरू हो चुका है। सैहब कर्मचारियों का वेतन व ई.पी.एफ का भुगतान एम.सी फंड से किया जा रहा है। कूड़े की फीस से कलैक् शन कम होने के कारण कर्मचारियों को वेतन निगम के कोष से देना पड़ रहा है। एक साल में 8 करोड़ रुपए एम.सी फंड से सैहब पर खर्च किए गए है। 

Ekta