नगर निगम की दुकानों को सबलैट करने वालों की अब खैर नहीं, प्रशासन ने कसा शिकंजा

Thursday, Oct 17, 2019 - 09:56 AM (IST)

शिमला : राजधानी में नगर निगम की नाक के नीचे पट्टाधारकों द्वारा गुपचुप तरीके से एम.सी. की दुकानों को आगे सबलैट कर करोड़ों रुपए की मोटी कमाई की जा रही है। निगम की दुकानों की सबलैटिंग करने को लेकर प्रशासन के पास 70 फीसदी शिकायतें पहुंच चुकी हैं। ऐसे में अब प्रशासन ने हरकत में आते हुए अपनी संपत्तियों, दुकानों व स्टालों की वैरीफिकेशन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी दुकानों का रिकार्ड खंगाला जाएगा और जहां पर निगम की दुकानें सबलैट की हुई पाई जाएंगी, ऐसे दुकानदारों पर नगर निगम भारी-भरकम जुर्माना करेगा।

 शिमला शहर में अधिकतर पट्टाधारकों ने एम.सी. की दुकानों को मोटे किराए के लालच में आगे दुकानदारों को सबलैट कर दिया है, जबकि निगम के पास कागजों में दुकान किसी और के नाम पर है तथा मौजूदा समय में दुकान पर कब्जा किसी और का है, ऐसे में अब प्रशासन दोबारा से दुकानों की वैरीफिकेशन कर रहा है, ताकि दुकानों का सही रिकार्ड तैयार किया जा सके और यह भी पता लगाया जा सके कि शहर में एम.सी. की कितनी दुकानों को सबलैट किया गया है।

 मौजूदा समय में शिमला शहर में नगर निगम की 987 संपत्तियां दुकानें और स्टॉल हैं, जिन्हें एम.सी. ने आगे कारोबारियों को किराए पर दे रखा है, लेकिन इसमें से कई पट्टाधारकों की मौत भी हो चुकी है और इनके वारिसों द्वारा किराए के लालच में निगम की दुकानों को आगे सबलैट किया गया है, जिस पर प्रशासन शिकंजा करने की तैयारी कर रहा है। 

अब तक 100 से अधिक मामले हैं सबलैटिंग के

निगम के पास 100 से अधिक मामले ऐसे हैं, जो 2001 से पहले के हैं, जिसमें निगम की दुकानों को 99 साल की लीज पर दिया गया है। इसमें से पट्टाधारकों द्वारा इसकी लीज को रिन्यू नहीं किया गया है। ऐसे में कई मामलों में सबलैटिंग की गई है, जबकि इसमें से कई दुकानें नियमों के तहत पट्टाधारकों के वारिसों के नाम होनी हैं, लेकिन नगर निगम ने अब जो पॉलिसी तैयार की है, इसमें अब 25 साल की लीज पर ही दुकानें दी जा रही हैं।

सबलैटिंग पर बेदखली का भी है प्रावधान

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई भी दुकानदार एम.सी. की दुकानों को आगे किसी और को सबलैट करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, साथ ही उसकी लीज रद्द कर दी जाएगी और अब दुकानदार को सबलैटिंग के लिए नगर निगम की अनुमति लेनी पड़ेगी। यदि कोई दुकानदार निगम की अनुमति के बगैर ही दुकान सबलैट करता है तो निगम उससे कब्जा वापस लेकर उसे बेदखल करेगा। दुकानदारों को निगम के साथ लीज साइन करनी होगी। इससे निगम के पास रिकार्ड होगा कि दुकान का असली हकदार कौन है। 

Edited By

Simpy Khanna