छात्रों की उपाधियां तभी मूल्यवान जब उनका शोध खेतों तक पहुंचे : राज्यपाल

punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 09:29 PM (IST)

नौणी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मेधावियों को 665 डिग्रियां, 11 स्वर्ण पदक और 261 मैरिट प्रमाण पत्र प्रदान
सोलन (ब्यूरो):
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि उपाधि धारकों को यह निर्णय खुद लेना होगा कि वह रोजगार प्राप्त करने वाले अथवा रोजगार प्रदाता बनना चाहते हैं। उन्होंने युवा विज्ञानियों से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित उच्च मानकों पर खरा उतरने का प्रयास करें। राज्यपाल मंगलवार को डाॅ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के 11वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि अपना संबोधन दे रहे थे। उन्होंने मेधावी छात्र-छात्राओं को 665 डिग्रियां, 11 स्वर्ण पदक और 261 मैरिट प्रमाण पत्र प्रदान किए। स्वर्ण पदक विजेताओं और उपाधि धारकों को शुभकामानाएं देते हुए राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह एक ऐसा स्मरणीय पल है जो हमें भविष्य में उन्नति और विश्वविद्यालय के विशेष योगदान की याद दिलाता रहेगा। उन्होंने आग्रह किया कि युवा अपना शोध कार्य कृषि समुदाय तक लेकर जाएं। छात्रों की ये उपाधियां तभी मूल्यवान हैं जब उनका शोध खेतों तक पहुंचेगा। जब तक यह शोध किसानों तक नहीं पहुंचता है, इसका कुछ भी उपयोग नहीं है। ये उपलब्धियां छात्रों के कड़े परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने इसमें शिक्षकों, गैर-शिक्षकों और छात्रों के अभिभावकों के योगदान की भी सराहना की। जीवन में सीखने की प्रक्रिया कभी भी समाप्त नहीं होती है बल्कि आज का यह दिन नई शिक्षा और नए लक्ष्यों को प्राप्त करने की शुरूआत का दिवस है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को उद्यमिता के क्षेत्र में परामर्श केंद्र विकसित करने के भी निर्देश दिए।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए जारी की कार्य योजना

राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए रोड मैप एवं कार्य योजना भी जारी की। विश्वविद्यालय के उप कुलपति डा. परविन्दर कौशल ने राज्यपाल का स्वागत और विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों और गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शोध गतिविधियों पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहा है। वर्ष 2020 से अभी तक विभिन्न एजैंसियों को 48.74 करोड़ रुपए की 83 शोध परियोजनाएं वित्तीय सहायता के लिए भेजी गई हैं। इनमें से 7.84 करोड़ रुपए की 16 परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान में बदलाव करते हुए बागवानी क्षेत्र में इसे 110 करोड़ रुपए और वानिकी क्षेत्र में 57.20 लाख रुपए किया है। विश्वविद्यालय के पंजीयक प्रशांत सरकैक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के उप कुलपति एच.के. चौधरी, पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप, विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य, प्रबंधन एवं अकादमी परिषद बोर्ड, विश्वविद्यालय के संवैधानिक अधिकारी, कर्मचारी, छात्र समुदाय, स्नातक एवं परा-स्नातक उपाधि धारक और अभिभावक उपस्थित थे।
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रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता हो कम

राज्यपाल ने कहा कि किसानों की रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता है। यह कीटनाशक प्रतिवर्ष महंगे होते जा रहे हैं। फल-सब्जियों इत्यादि को कीटों और विभिन्न रोगों से सुरक्षित रखने के लिए रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों को अपनाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन हमारा उद्देश्य होना चाहिए। सरकार ने हिमाचल को प्राकृतिक खेती राज्य के रूप में विकसित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

रैंकिंग पर व्यक्त किया संतोष

राज्यपाल ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी अटल इनोवेशन रैंकिंग में देश के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में उच्च ए (6-25 रैंक) पर रहा है। इसके अतिरिक्त भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में भी इसे 22वां स्थान प्राप्त हुआ है। इण्डिया टुडे एम.डी.आर.ए. सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय रैंकिंग 2020 में भी इस विश्वविद्यालय ने देश भर के राजकीय विश्वविद्यालयों में 25वां स्थान प्राप्त किया है।  विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक प्रबंधन प्रणाली प्रारंभ करने पर कहा कि यह विश्वविद्यालय डिजिटल क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा रिमोट लॉग सॉफ्टवेयर प्रणाली लागू करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इससे विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को घर पर ही ई-लिटरेचर उपलब्ध हो सकेगा।

इनको मिले गोल्ड मैडल 

दीक्षांत समारोह में 11 छात्रों को स्वर्ण पदक और 261 छात्रों को मैरिट प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त 665 विद्यार्थियों ने बीएससी बागवानी और बीएससी वानिकी, बीटैक बायोटैक्नोलॉजी, एमबीए/एबीएम, एमएससी बागवानी और एमएससी वानिकी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जिनमें 283 छात्र और 382 छात्राएं शामिल हैं। 11 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्रों में 7 लड़कियां हैं। दीक्षांत समारोह में 21 विदेशी छात्रों को भी उपाधियां प्रदान की गईं। जिन छात्रों को गोल्ड मैडल मिला है उनमें पीएचडी वानिकी के संजीव कुमार, पीएचडी बागवानी ओजीपीए की स्वाति शर्मा, एमएससी वानिकी की नेहा मिश्रा, कृति सेमवाल बागवानी नौणी, एमबीए उद्यानिकी पलक ठाकुर, बीएससी ऑनर्ज वानिकी मेघा सिंह ठाकुर, बीएससी बागवानी मेघा सिंह कंवर, बीएससी ऑनर्ज बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के दिनेश कुमार, बीएससी बायोटैक्रोलॉजी नेरी की निशिका दरकाल, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए अक्षय कुमार वालिया, वानिकी महाविद्यालय के एमएससी कार्यक्रम के प्रथम स्थान के लिए नेहा मिश्रा व श्री पुराण आनंद अदलखा गोल्ड मैडल परीक्षित को मिला।

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Content Writer

Vijay

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