गरज के साथ बारिश व तेज हवाएं चलने का रहेगा यैलो अलर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jun 04, 2024 - 09:54 PM (IST)

शिमला (संतोष): गरज के साथ बौछारें पड़ने व 40 से 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने के यैलो अलर्ट के बीच मंगलवार को कल्पा में 1.5 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जबकि भुंतर सहित मंडी व ऊना जिलों में अलग-अलग स्थानों पर लू चली है। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से आगामी 3 दिनों तक एक-दो स्थानों पर गरज के साथ बौछारें पड़ने और 40 से 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का यैलो अलर्ट जारी किया गया है। प्रदेश में 8 जून के बाद मौसम के साफ व शुष्क रहने की संभावनाएं हैं, जबकि आगामी 5 दिनों तक किसी भी प्रकार का हीट वेव का यैलो अलर्ट जारी नहीं किया गया है। मंगलवार को नेरी में अधिकतम तापमान 43.4 डिग्री रहा, जबकि शिमला में 28.2 डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया है। अधिकतम तापमान में पिछले 24 घंटों में सामान्य से माइनस 1.1 डिग्री की गिरावट भी दर्ज की गई है।

राज्य में पिछले 24 घंटों में अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ हल्की से मध्यम वर्षा हुई, जिसमें मेहरे बड़सर में 28, बरठीं में 27.2, बरठीं एग्रो में 26.5, बैजनाथ में 9, अंब में 6.8, काहू में 6.4, सोलन व ऊना में 6.2-6.2, डल्हौजी में 6, कुमारसैन में 5.4, अर्की में 5, शिलारू में 4.6, सैंज में 4.5, घमरूर में 4.2, बिलासपुर ए.डब्ल्यू.एस. में 4, बिलासपुर सदर में 3.8, नैनादेवी में 2.6, शिमला एयरो में 2.6, धर्मशाला ए.डब्ल्यू.एस. में 2.5, नादौन में 2, कुफरी, निचार, संगड़ाह, कसौली, भरमौर व कंडाघाट में 2-2 मिलीमीटर वर्षा हुई है।

मई माह में 73 फीसदी कम बरसे मेघ
मौसम विभाग के अनुसार मई माह में 1 मई से 31 मई तक राज्य में 73 फीसदी कम मेघ बरसे हैं। बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना में भारी बारिश हुई, जबकि कुल्लू और मंडी जिलों में कम वर्षा हुई है। मार्च माह में 24 प्रतिशत अधिक मेघ बरसे हैं, जबकि अप्रैल माह में 1 फीसदी कम सामान्य वर्षा हुई है। हिमाचल में प्री-मानसून सीजन में 1 मार्च से 31 मई तक सामान्य से 8 फीसदी कम वर्षा हुई है। राज्य के 9 जिलों में सामान्य वर्षा हुई। जिला कुल्लू में अधिक वर्षा हुई, जबकि किन्नौर और सोलन में प्री-मानसून सीजन के दौरान कम वर्षा हुई। वर्ष 2022 में प्री-मानसून सीजन के दौरान न्यूनतम वर्षा 74 प्रतिशत कम हुई थी और वर्ष 2004 में 63 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी। वर्ष 2015 में 30 प्रतिशत की गिरावट के साथ अधिकतम वर्षा हुई थी और इसके बाद 19 फीसदी प्रस्थान के साथ 2023 में वर्षा हुई थी।


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Content Writer

Kuldeep

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