Shimla: क्रसना लैब में शूगर 400 तो निजी अस्पताल में निकली 114, स्वास्थ्य विभाग ने तलब की रिपोर्ट
punjabkesari.in Sunday, Mar 30, 2025 - 03:34 PM (IST)

पालमपुर/शिमला, (संतोष): एक तो पत्नी की गंभीर बीमारी से पहले ही एक व्यक्ति परेशान चल रहा है, वहीं ऊपर से सरकारी अस्पताल की क्रसना लैब की फास्टिंग शूगर की रिपोर्ट ने चौंका ही डाला पालमपुर स्थित सरकारी अस्पताल की क्रसना लैब में जब 67 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी फास्टिंग की शूगर की जांच करवाई तो रिपोर्ट में इसे 400.70 एम.जी. बताया गया, जोकि बहुत ज्यादा थी। हालांकि उनके पुत्र ने उन्हें सलाह दी कि वह कहीं और से अपनी इसी जांच को करवाएं क्योंकि उनका एच.बी.1ए.सी. का टैस्ट जब करवाया गया था तो वह 5.1 था, जोकि सामान्य था।
इस पर बेटे की सलाह पर उन्होंने पालमपुर के होल्टा में एक निजी अस्पताल की लैब से दूसरी सुबह जब यही टैस्ट दोबारा से करवाया तो यहां की लैबोरेटरी ने यह रिपोर्ट 114 एम.जी. बताई, जोकि पूरी तरह से नॉर्मल थी। तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली, लेकिन क्रसना लैब के तकनीशियनों के कारण एक व्यक्ति की इस तरह की गलत रिपोर्ट से दवा शुरू हो जाती तो उनका शूगर लेवल लो हो जाता, जिससे उनकी जान पर बन जाती।
बता दें कि जिस व्यक्ति की यह रिपोर्ट क्रसना लैब द्वारा दी गई है, वह एक सरकारी बड़े ओहदे के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और उनकी पत्नी ब्रेन स्ट्रोक के कारण पिछले एक माह से अस्पताल में उपचाराधीन है। उधर स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डा. प्रकाश चंद धरोच ने कहा कि यदि ऐसा मामला आया है तो निश्चित तौर पर इसकी जांच की जाएगी तथा नियमानुसार कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। इसकी उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
प्रदेश भर में उठे हैं सवाल
सरकारी अस्पतालों में क्रसना लैब के साथ हुए एम.ओ.यू. के बाद से ही इनके द्वारा दी जाने वाली रिपोर्टों पर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं। आई.जी.एम.सी. शिमला से लेकर पालमपुर सहित समूचे प्रदेश के अस्पतालों में क्रसना लैब की रिपोर्टों को गलत ठहराया गया है। बैठकों में बार-बार इसका जिक्र हुआ है, लेकिन बावजूद इसके सरकार क्रसना लैबोरेटीज पर खासी मेहरबान लग रही है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने क्रसना लैब संचालकों को चेतावनी अवश्य दी हुई है, लेकिन बावजूद इसके इनकी रिपोर्टों में सुधार नहीं हुआ है।
गलत रिपोर्ट पर यह हो सकती है कार्रवाई
यदि कोई प्रयोगशाला गलत रिपोर्ट देती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के प्रावधानों में शिकायत दर्ज करना, एफ.आई.आर. दर्ज करना और आपराधिक मुकद्दमा शामिल हो सकता है। यदि आपको लगता है कि प्रयोगशाला ने गलत रिपोर्ट दी है तो आप पहले संबंधित नियामक या स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
यदि शिकायत दर्ज करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर. दर्ज कर सकते हैं। यदि सबूत मिलते हैं कि प्रयोगशाला ने जानबूझकर गलत रिपोर्ट दी है तो उसके खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा दर्ज किया जा सकता है। यदि गलत रिपोर्ट के कारण आपको कोई नुक्सान हुआ है तो आप मानहानि का मुकद्दमा भी दायर कर सकते हैं। इसके अलावा उपभोक्ता अदालत में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।