Shimla: प्रदेश की आर्थिक स्थिति बिगाड़ने वाला है सरकार का बजट : राजीव बिंदल
punjabkesari.in Monday, Mar 17, 2025 - 09:08 PM (IST)

शिमला: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह द्वारा 17 मार्च, 2025 को प्रस्तुत किया गया है, उस बजट से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधरने के बजाए निरंतर बिगड़ती चली जा रही है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति इस प्रकार से बिगड़ती जा रही है जैसे पूर्णिमा के बाद चंद्रमा निरंतर घटता जाता है। सरकार पर बजट प्रस्तुत होने की तिथि तक 1,05,000 (एक लाख पांच हजार) करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है और विगत 2 वर्षों में इस कर्ज में 35.11 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है अर्थात लगभग 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है और आर्थिक स्थिति यहां तक पहुंची है कि बजट प्रस्तुत होने से एक सप्ताह पूर्व प्रदेश की सरकार ने केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से कर्ज देने की सीमा (Borrowing Limits) को बढ़ाने का आग्रह किया।
कर्ज का विवरण (वित्तीय वर्ष अनुसार)
2020-21 60993 करोड़
2021-22 63736 करोड़
2022-23 76651 करोड़
2023-24 85311 करोड़
2024-25 94794 करोड़
2025-26 (वित्तीय वर्ष शुरू होने पर) 1,03,563 Cr.
मुख्यमंत्री जी ने 58450 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया जिसमें केवल 3941 करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के लिए बचे अर्थात 58450 करोड़ में से 3941 करोड़ छोड़कर शेष सभी राशिया तनख्वाह, पैशन, ब्याज, प्रतिबद्ध देनदारियां (Committed Laibilities) व देनदारियों में समाप्त हो रही है और विकास के लिए शून्य धनराशियों है। इसमें यदि बजट 100 रुपए माना जाए तो 25 रू0 तनख्वाह, 20 रुपए पैशन, 10 रुपए ब्याज, 12 रुपए कर्ज अदायगी, 10 रुपए प्रतिबद्ध देनदारियां अर्थात विकास के लिए कुछ भी शेष नहीं। राजकोषीय घाटा (F.R.B.M.) अधिनियम के अनुसार 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि हिमाचल प्रदेश का सकल राजकोषीय घाटा (GFD) देश में तीसरे स्थान पर है, यह बड़ा चिंता का विषय है। यह रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार है। खराब वित्तीय स्थिति होने के बावजूद सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने अनेक-अनेक प्रकार की गारंटियां दी और सत्ता में आने के बाद उसके विपरीत काम किया और प्रदेश के हर नागरिक पर टैक्स का बोझ बढ़ाया।
• डीजल पर 7 प्रतिशत वैट लगाकर 10.50 रुपए प्रति लीटर डीजल का रेट बढ़ाकर आम जनमानस की जेब में से पैसे ऐंठे और बजट प्रोजेक्शन में अपनी पीठ थपथपाते हुए सरकार की आमदनी बढ़ाने का दावा किया।
• 300 यूनिट बिजली फ्री देने की गारंटी हवा-हवाई करते हुए बिजली के दामों में बढ़ौतरी की गई, बिजली पर सैस लगाया गया और जनता की जेब में से पैसा निकालकर बिजली बोर्ड की आमदनी को बजट में बढ़ाकर दिखाया गया।
• स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, शहरी क्षेत्रों में पानी की सप्लाई के रेट बढ़ाकर जो जनता की जेब से पैसा निकाला गया, उसे बजट में सरकार की बढ़ी हुई आमदनी के रूप में दिखाया और बजट में सरकार की बढ़ी हुई आमदनी के रूप में दिखाया और तीनों बजट को टैक्स फ्री बजट बताया गया जबकि हर चीज के दाम बढ़ाए गए।
• 18-60 वर्ष की सभी बहनों को 1500 रुपए मिलना था। एक लाख सरकारी नौकरी, पक्की नौकरी, पैशन वाली नौकरी 2022 की पहली कैबिनेट में मिलनी थी, 5 लाख रोजगार मिलने थे, जो नहीं मिले और दूध के दाम 80 रुपए और 100 रुपए प्रति लीटर दिए जाने थे, जो नहीं दिए।
• प्रदेश की सरकार चिकित्सकों को पिछले 5 दशकों से 25 प्रतिशत एनपीए देती थी जो वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया और इस बजट में भी इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया।
• आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए न कोई पॉलिसी बनाई और न ही वेतन वृद्धि की।
• पैरा वर्कस के लिए न कोई नीति बनाई, न ही इनका वेतन बढ़ाया और न ही भत्ता दिया।
• कर्मचारियों की 13 प्रतिशत डीए की किस्त बकाया थी, केवल 3 प्रतिशत देने की घोषणा की।
• राजकोषीय घाटा घटाने के लिए घाटे में चले रहे सार्वजनिक उपक्रमों पर कार्यवाही करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जबकि इन उपक्रमो में 143 करोड़ रुपए का घाटा दिया गया।
• प्रदेश सरकार द्वारा विगत 2 वर्षों में 1200 स्कूल, कॉलेज बंद कर दिए गए, उसके बारे में कोई रिपोर्ट इस बजट में प्रस्तुत नहीं की गई, अलबत्ता बजट यह संकेत देता है कि और भी स्कूल बंद किए जाएंगे। गुणवत्ता केवल नाम की है, 5 क्लासे अध्यापक एक, फिर भी गुणवत्ता का ढिंढोरा बजट में पीटा गया है।
• स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम जनमानस के लिए चलाई गई हिमकेयर योजना का कोई जिक इस बजट में नहीं है और जो लोग इस योजना का लाभ उठा रहे थे, उनके लिए कोई वैकल्पिक योजना नहीं दी गई।
• इसके विपरीत केन्द्र सरकार द्वारा 2025-26 के बजट में 11806.30 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दर्शाई गई।
• दूसरा पूंजीगत और सुधारों के प्रोत्साहन के लिए 1.50 लाख करोड़ रू० प्रस्तावित किए गए जो प्रदेश सरकार 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के लिए ले सकती है।
• तीसरा फोरलेन नेशनल हाईवे के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को सम्पूर्ण धन का प्रावधान केन्द्रीय बजट में किया गया।
• प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना-3 में 2700 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना-4 में 4000 करोड और सीआरएफ में लगभग 250 करोड़ के बजट का प्रावधान केन्द्र द्वारा किया गया।
मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह का कथन है कि वे अर्थव्यवस्था के सुधारीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, ये न केवल असत्य है अपितु प्रदेश की जनता को भ्रमित करने का मायाजाल है। 2025-26 का यह बजट प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सही दिशा देने में पूरी तरह नाकामयाब रहा, प्रदेश के विकास कार्यों की गति को बढ़ाने में पूरी तरह फेल रहा, चुनावी गारंटियां पूरी करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया, सरकार के खर्चों की कटौती की दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया गया, घाटे के संस्थानो को घाटे से उबारना या बंद करना, इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। इस बजट में केवल जनता की जेब पर बोझ डालने का काम किया गया। यह बजट न बेरोजगारो के हित में, न महिलाओं के हित में, न किसानो के हित में, न व्यापारी के हित में, न गरीब के हित में और न ही प्रदेश के विकास के हित में है।