Shimla: हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पावर प्रोजैक्ट जीवन भर नहीं दे सकते : सुक्खू

punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 06:23 PM (IST)

शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पावर प्रोजैक्टों को जीवन भर नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार ने जो कड़वे फैसले लिए हैं, उसका स्वाद आने वाले समय में आंवले की तरह मीठा होगा। सुखविंदर सिंह सुक्खू यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सरकार एसजेवीएनएल से पूर्व भाजपा सरकार के समय आबंटित 382 मैगावाट क्षमता के सुन्नी, 210 मैगावाट के लुहरी चरण-1 और 66 मैगावाट के धौलसिद्ध पावर प्रोजैक्टों को वापस लेकर इसका अधिग्रहण करेगी। इसके अलावा एनएचपीसी को आबंटित 500 मैगावाट का डुगर और 180 मैगावाट क्षमता की बैरा स्यूल प्रोजैक्टों को प्रदेश सरकार अपने अधीन लेने के लिए आगे बढ़ रही है।

सरकार उन प्रोजैक्टों को अधिग्रहण करने के लिए आगे बढ़ेगी, जिनके निर्माण की अवधि के 40 वर्ष पूरे हो चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश 12, 18, 30 और 40 के फार्मूले पर ही प्रोजैक्ट लगेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से 1 वर्ष पहले लिए गए फैसलों का असर दिखने लगा है। इस बार पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक सुधार हुआ है, जिससे प्रदेश वर्ष 2027 में आत्मनिर्भर बनेगा और वर्ष, 2032 में देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बनेगा।

प्रोजैक्टों के अधिग्रहण के लिए अब तक क्या हुआ
एसजेवीएनएल से सुन्नी, लुहरी चरण-1, धौलसिद्ध और डुगर प्रोजैक्टों के अधिग्रहण के लिए सरकार स्वतंत्र मूल्यांकक नियुक्त करने को स्वीकृति प्रदान कर चुकी है। एसजेवीएनएल का दावा है कि उसकी तरफ से 3 प्रोजैक्टों पर करीब 3,399 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जबकि राज्य सरकार मानती है कि खर्च की गई राशि करीब 1,400 करोड़ रुपए है। इसी कारण अब इसका मूल्यांकन किया जा रहा है। इसके अलावा बैरा स्यूल परियोजना के अधिग्रहण के लिए प्रशासक नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया है।

संसाधन जुटाने के लिए उपसमिति की सिफारिशों पर अमल शुरू
राज्य सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों पर अमल करना शुरू कर दिया है। इसके तहत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने के अलावा करीब 45 विषयों को लेकर सिफारिशें की गई हैं। यानी अब वित्त विभाग से लेकर संबंधित विभागों एवं निगम-बोर्डों ने सिफारिशों में सुझाए गए विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है।


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Kuldeep

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