Shimla: हिमाचल में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा स्वास्थ्य शिक्षा विषय, हो रहा विचार

punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2024 - 05:53 PM (IST)

शिमला (संतोष): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार प्रारंभिक आयु से ही बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है। प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करते हुए इस क्षेत्र में सुधार की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। अस्पतालों में आपातकालीन विभागों को स्तरोन्नत किया जा रहा है और चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक साल के भीतर राज्य के लोगों के लिए उन्नत निदान और उपचार सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। वह शनिवार को यहां निक्षय अभियान के तहत आयोजित एक समारोह में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से तपेदिक की जांच भी करवाई। उन्होंने इस अभियान के लिए समर्पित एक मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलाई और टीबी रोगियों को निक्षय पोषण किटें वितरित कीं। उन्होंने अभियान में योगदान देने वाली संस्थाओं और संगठनों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री टीबी उन्नमूलन के तहत 2 करोड़ रुपए किए आबंटित
मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 डेज टीबी उन्नमूलन अभियान राज्य को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में कारगर साबित होगा। इस अभियान का उद्देश्य टीबी के मामलों की समय पर पहचान, प्रभावी उपचार और समुदायों में जागरूकता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यह अभियान राज्य के सभी जिलों में चलाया जाएगा, जिसके तहत कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने सभी से अपने क्षेत्रों में निक्षय शिविर अभियान में सक्रियता से भाग लेने और लोगों को टीबी के लक्षणों को पहचानने और समय पर जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य निकट भविष्य में टीबी मुक्त राज्य बनकर उभरेगा। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से प्राप्त सहायता के अलावा मुख्यमंत्री टीबी उन्नमूलन योजना के तहत 2 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं। राज्य की 13 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की है, इसके दृष्टिगत वृद्धजनों के लिए प्रारंभिक निदान और रोकथाम आवश्यक है। उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए युवा पीढ़ी को जागरूक होने और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने पर बल दिया।

सुपर स्पैशलिस्ट डाक्टरों का भत्ता 1.75 लाख व विशेषज्ञ डाक्टरों का भत्ता 1 लाख करने पर सरकार कर रही विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रैफरल प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए दृढ़ता से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए सरकार सुपर स्पैशलिस्ट डाक्टरों के मासिक भत्ते को 60,000 से बढ़ाकर 1.75 लाख और विशेषज्ञ डाक्टरों के लिए एक लाख रुपए करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वन संपदा उत्तर भारत को प्राणवायु प्रदान करती है। उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के वनों के संरक्षण के प्रयासों को अधिमान देते हुए ग्रीन बोनस प्रदान करने की अपील की। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार सतत् भविष्य सुनिश्चित करने के दृष्टिगत हरित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अपनी औद्योगिक नीति में संशोधन कर रही है।

टीबी रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए दे रही मासिक वित्तीय सहायता : शांडिल
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल डा. धनीराम शांडिल ने सभी से टीबी के प्रति सतर्क रहने और शीघ्र उपचार के लिए समय पर जांच करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य में टीबी जांच दर देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार टीबी रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है। उन्होंने बल दिया कि टीबी को खत्म करने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। सचिव स्वास्थ्य एम. सुधा देवी ने निक्षय अभियान पर विस्तृत प्रस्तुति दी। एनएचएम की मिशन निदेशक प्रियंका वर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इस अवसर पर विधायक हरीश कुमार, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, उपायुक्त एनएचएम डा.जोया अली रिजवी और अन्य गण्यमान्य भी उपस्थित रहे।


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Kuldeep

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