हाईकोर्ट की राज्य सरकार की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी
punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2023 - 10:59 PM (IST)
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार गरीब, असहाय, बेरोजगार युवाओं का खून चूसकर पैसा बचाने की कोशिश कर रही है। बेरोजगार उन पर लगाई गई कोई भी मनमानी शर्त स्वीकार करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि उन्हें सम्मानजनक आजीविका के लिए नहीं अपितु कुछ कमाने के अवसर में आशा की किरण दिखाई देती है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों में सेवारत पी.टी.ए. शिक्षकों को अनुदान सहायता प्रदान करने के लिए अभिभावक शिक्षक संघ नियम, 2006 को तैयार और कार्यान्वित किया था। हालांकि 27 अगस्त, 2007 के पत्र के माध्यम से नगर निगमों, नगरपालिकाओं और नगर पंचायत के क्षेत्र में स्थित स्कूलों में सेवारत पी.टी.ए. शिक्षकों को इस लाभ से वंचित कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा राज्य के स्कूलों में नियमित शिक्षक उपलब्ध करवाने के बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार इन निर्देशों का पालन करने और नियमित शिक्षकों की नियुक्ति करने में विफल रही है। मजबूर परिस्थितियों में पी.टी.ए. बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए बाध्य है।
न्यायालय ने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों या शहरी क्षेत्रों में सेवारत पी.टी.ए. शिक्षक एक ही वर्ग के हैं और उनके बीच वर्गीकरण समझ से परे है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पी.टी.ए. शिक्षकों को समान कारणों से नियुक्त किया जाता है और वे समान स्तर की जवाबदेही और जिम्मेदारी के साथ समान कार्य करते हैं। कोर्ट ने पाया कि पी.टी.ए. शिक्षकों का वर्गीकरण भेदभावपूर्ण और राज्य द्वारा बनाई और अपनाई गई शोषणकारी नीतियों का एक और उदाहरण है।