Shimla: हाईकोर्ट ने रद्द किए राज्य औषधि नियंत्रक के आदेश
punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 09:19 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा जारी किए गए उस कार्यालय आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत दवा निर्माताओं को एसओपी में अन्य बातों के साथ-साथ, मादक पदार्थ की बिक्री की सूचना संबंधित खरीददार के जिला पुलिस अधीक्षक और अन्य प्राधिकरण को भेजनी जरूरी की गई थी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने बायोजैनेटिक ड्रग्स दवा निर्माता कंपनी की याचिका को स्वीकारते यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दवा नियंत्रण संबंधी नियम बनाने की शक्ति विशेष रूप से केंद्र सरकार को प्रदान की गई है।
केंद्र सरकार ने इस प्रकार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ऐसे नियम बनाए हैं जो दवा निर्माताओं की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। कोर्ट ने कहा कि इन नियमों में उक्त कंपनी द्वारा निर्मित ट्रामाडोल जैसी औषधि की बिक्री भी शामिल है। इसलिए राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा बिना अधिकार के जारी किया गया कार्यालय आदेश कानून की दृष्टि में टिकने योग्य नहीं है। याचिकाकर्त्ता का कहना था कि हालांकि राज्य औषधि नियंत्रक के पास औषधि नियंत्रण अधिनियम या औषधि नियंत्रण नियमों के तहत ऐसी शर्तों को शामिल करने का कोई अधिकार नहीं है, फिर भी केंद्र सरकार की अधिसूचना का संदर्भ देकर इस अधिकार का कानूनी औचित्य बताने का प्रयास किया जा रहा है।
कंपनी का कहना था कि उक्त एसओपी न तो वैधानिक अधिसूचना है, न ही वैधानिक विनियमन है। यह न ही औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और न ही इसके तहत बनाए गए नियम, राज्य औषधि नियंत्रक को ऐसा कोई कार्यालय आदेश जारी करने की कोई शक्ति प्रदान करते हैं। सरकार का कहना था कि राज्य दवा नियंत्रक द्वारा जारी उक्त आदेश न केवल नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे को नियंत्रित करने के लिए बड़े सार्वजनिक हित में जारी किया गया था, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी जारी किया गया था कि याचिकाकर्त्ताओं जैसी कंपनियों द्वारा निर्मित दवाएं गलत हाथों में न पड़ें।