shimla: 550 करोड़ रुपए की लागत से प्राचीन मंदिरों, किलों व पुरातन स्थलों का होगा जीर्णोद्धार
punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 06:16 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): प्रदेश में लगभग 550 करोड़ रुपए की लागत से प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातन स्थलों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा अधिगृहीत मंदिरों में विभिन्न विकास कार्यों के लिए लगभग 37 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। हिमाचल की लोक संस्कृति और समृद्ध परम्पराएं विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां स्थित भव्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल सदियों से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। प्रदेश सरकार ने इसके लिए अब तक 550 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि स्वीकृत की है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली शुरू की गई है। इस सुविधा के शुरू होने से मंदिर में भीड़ का प्रबंधन आसानी से हो रहा है। बुजुर्गों और विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को मंदिर में सुगमता से दर्शन हो रहे हैं। प्रदेश के अन्य मंदिरों में भी यह सुविधा शीघ्र ही आरम्भ की जाएगी।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं और लगभग 250 करोड़ रुपए की लागत से एक भव्य परिसर का निर्माण किया जा रहा है। माता श्री ज्वालाजी और माता श्री नयनादेवी मंदिरों के लिए भी 100-100 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए लगभग 11.16 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना और अधोसंरचना के बेहतर रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपए की वार्षिक सहायता दी जा रही है। छोटे मंदिरों को पूजा-अर्चना के लिए दी जाने वाली राशि को वर्ष 2025-26 में दोगुना कर दिया गया है। इसी के तहत प्रदेश सरकार ने शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल का जीर्णोद्धार कर इस ऐतिहासिक इमारत को एक नया स्वरूप प्रदान किया है।
यहां लाइट एंड साऊंड शो शुरू किया गया है। इसके अतिरिक्त यहां जल्द ही एक डिजिटल संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए लगभग 25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। परिसर में स्थानीय शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ी आंगन स्टॉल भी स्थापित किए गए हैं, जो दिल्ली हाट की तर्ज पर आकर्षण का केंद्र बन रहा है। हिमाचल राज्य संग्रहालय शिमला को और अधिक आकर्षक व ज्ञानवर्धक जानकारी से युक्त बनाने के लिए दक्ष प्रयास किए जा रहे हैं। संग्रहालय की 28 दीर्घाओं में रखी गई 1500 से अधिक दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी से आगंतुकों को ज्ञानवर्धक जानकारी उपलब्ध होती है। संस्कृत और टांकरी लिपि पर प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।