वीरभद्र सिंह से कटवाया था दफ्तर का रिबन, जयराम सरकार ने भंग कर दी सोसायटी

punjabkesari.in Saturday, Apr 07, 2018 - 11:54 PM (IST)

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिहं ने 3 दिन पहले जिस को-ऑप्रेटिव सोसायटी के दफ्तर का रिबन काटकर उद्घाटन किया था, जयराम सरकार ने उस सोसायटी को ही भंग कर दिया है। बताया जा रहा है कि बाघल लैंड लैस ट्रांसपोर्ट को-ऑप्रेटिव सोसायटी पर वीरभद्र सिंह से दफ्तर का उद्घाटन करवाने की गाज गिरी है। वीरभद्र सिंह 4 अप्रैल को सोसायटी के वार्षिक समारोह में बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए थे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस क्षेत्र में यह सोसायटी चल रही है, वीरभद्र सिंह उस क्षेत्र के विधायक हैं। सोसायटी प्रबंधन सरकार पर राजनीतिक द्वेष की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगा रहा है। सरकार द्वारा सोसायटी को भंग करने के बाद सदस्यों में हड़कंप मच गया है। 


सरकार ने शिकायत के आधार पर भंग की समिति
सरकार ने एक शिकायत के आधार पर 11 लोगों की प्रबंधक समिति को भंग किया है। इस सोसायटी में कुल 633 सदस्य बताए जा रहे हंै। सोसायटी का सालाना कारोबार 165 करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है। इस सोसायटी का गठन करीब 8 साल पहले ट्रांसपोर्टरों के उत्थान एवं उनके हितों की लड़ाई के लिए किया गया था क्योंकि क्षेत्र में एक सीमैंट फैक्टरी के कारण दर्जनों लोग लैंड-लैस हो गए थे। इसके बाद क्षेत्र के ज्यादातर लोगों ने अपनी दो जून की रोटी के लिए गाडिय़ां खरीदी और स्थानीय लोगों ने मिलकर इस सोसायटी का गठन किया था। इसे अब जयराम सरकार ने भंग किया है।


वूल फैडरेशनको अब तक नहीं छेड़ा
वूल फैडरेशन में भी पूर्व की कांग्रेस ने ही चेयरमैन तथा अन्य सदस्य की तैनाती कर रखी है। इनका अभी कार्यकाल बचा हुआ है। अब तक तो भाजपा सरकार ने इन्हें नहीं छेड़ा है लेकिन सहकारिता द्वारा जिस तरह कीकार्रवाई के.सी.सी. बैंक और बाघल सोसायटी के खिलाफ की गई है, उसके बाद वूल फैडरेशन पर कुछ दिनों बाद इस तरह की कार्रवाई देखने को मिल सकती है।


क्या बोले सोसायटी के प्रबंधक 
सोसायटी के प्रबंधक रामकृष्ण शर्मा ने बताया कि इससे पहले भी सोसायटी पर राजनीतिक द्वेष की भावना के कारण कई तरह के आरोप लगे हैं लेकिन हर बार की जांच में सोसायटी प्रबंधन पाक साफ निकला है। इस बार सोसायटी को बिना किसी जांच के भंग किया गया है। इसे लेकर स्थानीय लोगों शनिवार को रजिस्टार को-ऑप्रेटिव सोसायटी (आर.सी.बी.) डा. आर.एन. बत्ता से मिलकर इस कार्रवाई का विरोध जताया। उनकी मांग पर आर.सी.बी. ने 3 दिन के भीतर जांच का भरोसा दिया है। हालांकि आर.एन. बत्ता ने बार-बार संपर्क करने पर भी फोन उठाने की हिम्मत नहीं की।


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Vijay

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