हिमाचल के जंगलों में मिली दुर्लभ वनस्पति, जानिए कौन से रोगों के लिए है वरदान
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 12:39 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की खूबसूरत बरोट घाटी में एक बहुत ही दुर्लभ वनस्पति की खोज हुई है। इस वनस्पति का नाम है लाइकोपोडियम जापोनिकल, जिसे आम बोलचाल में 'क्लबमॉस' या 'वुल्फ फट' भी कहा जाता है। इस खोज का श्रेय डीएवी कॉलेज, होशियारपुर के सहायक प्रोफेसर और जाने-माने टेरिडोलॉजिस्ट डॉ. सुनील कुमार वर्मा को जाता है। उन्होंने करीब 20 वर्षों के गहन शोध के बाद इस प्रजाति को हिमाचल में पाया है।
क्या है लाइकोपोडियम जापोनिकल?
यह वनस्पति मुख्य रूप से चीन, जापान और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में पाई जाती है। भारत में भी उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में इसके पाए जाने की बात कही जाती है, लेकिन हिमाचल में यह पहली बार मिली है। यह वनस्पति 1,800 से 2,000 मीटर या इससे अधिक की ऊंचाई पर पनपती है। इसे उगने के लिए ठंडा और नम वातावरण बहुत जरूरी होता है। अक्सर यह नदियों और झीलों के पास अम्लीय मिट्टी में उगती है।
औषधीय गुणों का भंडार
लाइकोपोडियम जापोनिकल अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। होम्योपैथी में इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाएं बनाने में होता है। यह चर्म रोगों और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह लीवर से जुड़ी बीमारियों के लिए भी रामबाण है। इसमें पोटेशियम भी पाया जाता है, जो संक्रमण और सूजन को कम करने में सहायक होता है।
ऐतिहासिक महत्व
बताया जाता है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों ने इस वनस्पति का उपयोग रात में रोशनी करने के लिए किया था। इसके अलावा, वे इसका इस्तेमाल अपने चर्म रोगों के इलाज के लिए भी करते थे। जैसे-जैसे इसकी औषधीय महत्ता का पता चला, इसकी मांग तेजी से बढ़ी। लेकिन, लगातार जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक उपयोग के कारण यह प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर आ गई है।
डॉ. सुनील वर्मा के अनुसार, इंडियन फर्न जर्नल और प्रसिद्ध टेरिडोलॉजिस्ट प्रोफेसर एसपी खुल्लर ने भी इस खोज की पुष्टि की है। इस दुर्लभ वनस्पति का हिमाचल में मिलना वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि हिमाचल की जैव विविधता अभी भी कई रहस्यों को अपने भीतर छिपाए हुए है, जिनकी खोज करना बाकी है।